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भ्रष्टाचारी इंजीनियर के परिजन अब भी दौलत के नशे में:35000 का एक कपड़ा, 300 रुपए प्रति लीटर का पानी पीता है परिवार, वीरेंद्र राम से पूछताछ में होगे बड़े खुलासे

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करोड़ों की अवैध संपत्ति का मालिक वीरेंद्र राम ईडी के सामने आंसू बहा रहा है, दूसरी तरफ उसकी पत्नी और बच्चे को भरोसा है कि इस छापेमारी से कुछ नहीं होगा। पत्नी ईडी अधिकारियों को महंगे टेबल का धौंस दिखाती है, तो बेटा कमरे में बिखरे ब्रांडेड शर्ट की कीमत बताते हुए कहता है कपड़ों को छू कर देख लो, एक शर्ट की कीमत कम से कम 35000 रुपए है।
पानी भी फ्रांस से

दिल्ली में उसके बेटे के फ्लैट में यह कपड़े एक कमरे में बिखरे पड़े थे। दूसरी तरफ उसके निलंबन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। वीरेंद्र राम मुख्य रूप से जल संसाधन विभाग में है। उसका निलंबन भी इसी विभाग से होगा। इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया जायेगा। परिवार के लोग साधारण पानी नहीं फ्रांस की कंपनी का पानी पीते हैं जिसकी कीमत 300 रुपए प्रति लीटर है। फ्रांस की कंपनी में बना मिनरल वाटर इनके घऱ में इस्तेमाल होता है। पत्नी को महंगी चीजों का इतना शौक है कि वह नौकरों को सामान खरीदने भेजती है तो कहती है सस्ती चीजें मत लेकर आ जाना।
परिवार वालों के सिर पर अब भी चढ़ा है दौलत का नशा
वीरेंद्र राम के परिवार पर दौलत का नशा अब भी सिर चढ़कर बोल रहा है. दूसरी तरफ ईडी अपनी जांच की रफ्तार भी बढ़ा रही है। विशेष अदालत ने वीरेंद्र राम को पांच दिनों के लिए ईडी की रिमांड पर भेजा है। इसमें वीरेंद्र राम से और सघन पूछताछ होगी। वीरेंद्र राम के पिता और पत्नी के केनरा बैंक के ज्वाइंट एकाउंट में भी 5.70 करोड़ और 3.59 करोड़ जमा हुए थे। जांच में यह सामने आया है कि यह पैसे आरके इन्वेस्टमेंट और आरपी इन्वेस्टमेंट एंड कंसल्टेंट के खातों से आए थे। ईडी ने दोनों फर्म के संचालक राजेश कुमार केडिया और रीना पाल का भी बयान लिया है।

वीरेंद्र राम उगल रहा है कमीशन की पूरी कहानी
वीरेंद्र राम ने पूछताछ में यह माना है कि वह कंपनियों से ठेके के बदल कमीशन लेते हैं। वीरेंद्र राम ईडी अधिकारियों से कहते हैं कमीशन का चलन तो सभी जगह है, विभाग में मुझ से पहले भी कमीशन लिया जाता था। 0.3 फीसदी कमीशन में उन्होंने कई बड़े नौकरशाह, बड़े नेताओं और उनके रिश्तेदार को भी पैसा दिया है।
कमीशन के खेल में है खूब पैसा
कमीशन के खेल में खूब पैसा है। अगर इसे समझने की कोशिश करें तो चालू वित्तीय वर्ष में ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के लिए 615 करोड़ का बजट तैयार किया गया है. प्रावधान के मुताबिक ढाई गुना यानी करीब 1500 करोड़ की योजना ली जा रही है. सिस्टम के मुताबिक 1500 करोड़ में से 4.5% तो मुख्य अभियंता कार्यालय में ही वसूली होनी है। 70 करोड़ ऐसे ही ले लिये जा रहे हैं.

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