श्रावण मास में शिवभक्त कांवड़ियों को इस बार कांवड़ खरीदने के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। कांवड़ बनाने का सामान महंगा होने के कारण इस बार दोगुनी रेट पर यह बेची जाएगी। 250 रुपये वाली कांवड़ 500 रुपये की हो गई है। कांवड़ बनाने में उपयोग होने वाला बांस, कपड़ा, सजावट का सामान, डंडा, टोकरी, छींका आदि सभी सामग्री के दाम पूर्व के मुकाबले इस बार आसमान छू रहे हैं। महंगें सामान से कांवड़ को बनाने वाले कारीगरों को ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। कांवड़ बनाने की कीमत में इजाफे से इसका असर कांवड़ की बिक्री पर पड़ेगा। यही कारण है कि इस बार हरिद्वार में कांवड़ियों को कांवड़ खरीदने के लिए ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
उपनगरी ज्वालापुर में कई दशकों से कांवड़ बनाने का कार्य किया जाता है। कांवड़ बनाने वाले कारीगर अपनी कई पीढि़यों से शिवभक्तों के लिए कांवड़ बनाते आ रहे हैं। 90 फीसदी कारीगर मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखते हैं। घर के बुजुर्ग, बच्चे, युवा और महिलाएं मिलकर हाथों से शिवभक्त कांवडि़यों के लिए कांवड़ तैयार करते हैं। चार माह पहले कांवड़ का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाता है। ज्वालापुर में कांवड़ का निर्माण करने के बाद सावन माह में हरिद्वार बिक्री के लिए लेकर जाते हैं।
ज्वालापुर के कांवड़ बनाने वाले कारीगर लीला चौधरी आदि का कहना है कि कांवड़ बनाने का सामान महंगें हो गया है। दो साल पहले सभी प्रकार की 1500 कांवड़ बनाने का खर्चा करीब साढ़े चार लाखआता था, जो इस बार बढ़कर साढ़े नौ लाख तक पहुंच गया है। 70 से 75 फीसदी माल मार्केट से उधार उठाते हैं। बिक्री के बाद पैसा लौटाया जाता है। महंगाई के कारण इस बार कांवडि़यों को कांवड़ दोगुने महंगे दामों पर मिलेगी। सामान महंगा होने के कारण कीमत पर असर होना लाजमी है।
आशा खबर / शिखा यादव