बरसात का मौसम शुरू होते ही कई तरह की बीमारियों के मामले भी बढ़ने लग गए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, इन दिनों में सबसे ज्यादा खतरा मच्छरजनित रोगों का होता है। बरसात का समय मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल होता है, यही कारण है कि इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि गर्मी से बरसात का बदलता समय मौसमी बुखार के जोखिमों को भी बढ़ा देता है।
इस लेख में हम मौसमी बुखार और डेंगू के बारे में जानेंगे। इन दोनों ही बीमारियों के ज्यादातर लक्षण चूंकि एक जैसे ही होते हैं, ऐसे में अक्सर लोगों के लिए इनमें अंतर कर पाना काफी कठिन हो जाता है। मौसमी बुखार के लक्षण वैसे तो कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं हालांकि डेंगू पर अगर ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण रक्तस्रावी समस्याओं का जोखिम हो सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अमर उजाला से बातचीत में गुरुग्राम स्थित एक अस्पताल में कंसल्टेंट डॉ मुकेश सिन्हा बताते हैं, वैसे तो अभी अस्पतालों में डेंगू के मामले नाम मात्र के हैं, हालांकि बरसात का मौसम बढ़ने के साथ इसके जोखिम भी बढ़ सकते हैं। मौसमी बुखार और फ्लू की समस्या इन दिनों जरूर अधिक देखी जा रही है। मैंने कई ऐसे मरीज देखे हैं जिनमें एक साथ मानसूनी बुखार या डेंगू दोनों हो सकते हैं। दोनों बीमारियों के लक्षण शुरुआत में लगभग एक जैसे ही होते हैं। डेंगू की स्थिति में जल्द इलाज की जरूरत होती है।
मानसून में होने वाले बुखार की समस्या
मानसूनी बुखार, बारिश के मौसम में होने वाले वायरल संक्रमण के कारण होता है। मौसम में होने वाले बदलाव के साथ इंफ्लूएंजा जैसे वायरस के संक्रमण की स्थिति में आपको हल्का से लेकर तेज बुखार, नाक बहने या बंद होने, गले में खराश, शरीर में दर्द और थकान, हल्का सिरदर्द जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। मानसूनी बुखार आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होता है और अक्सर खांसी या जुकाम जैसे श्वसन संबंधी लक्षणों के साथ होता है।
इनमें ज्यादातर लोग बिना दवाओं के खुद से भी ठीक हो जाते हैं।
डेंगू बुखार की समस्या
डेंगू बुखार भी संक्रमित मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारी है। डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता। डेंगू के मच्छर दिन के समय में अधिक संक्रिय रहते हैं इसलिए मच्छरों को काटने से बचाव के उपाय करते रहना सबसे जरूरी माना जाता है। डेंगू वायरस से संक्रमित हर व्यक्ति में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें बुखार के साथ-साथ मतली, उल्टी, शरीर पर चकत्ते, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द या सिरदर्द की समस्या हो सकती है। गंभीर स्थितियों में डेंगू के कारण आंतरिक रक्तस्राव होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
डॉ. मुकेश कहते हैं कि अगर इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।
इन दोनों में कैसे करें अंतर?
मानसूनी बुखार और डेंगू इन दिनों दोनों ही रोग के मामले बढ़ रहे हैं और इनके ज्यादातर लक्षण भी एक जैसे ही होते हैं, इसलिए कुछ अंतरों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। डॉ मुकेश बताते हैं, दोनों में बुखार, दर्द और थकान होती है, पर डेंगू में आम तौर पर ये अचानक शुरू होता है और लक्षण बढ़ने के साथ गंभीर शरीर दर्द और चकत्ते होने लगते हैं। डेंगू बुखार के कारण ब्लड प्लेटलेट काउंट में कमी आने लगती है जबकि मानसूनी बुखार में ऐसे दिक्कत नहीं देखी जाती है।
इन दोनों का उपचार भी अलग तरीकों से किया जाता है। मानसूनी बुखार के ज्यादातर मामले आराम करने और शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ ओवर-द-काउंटर बुखार दवा (पैरासिटामोल) से ठीक हो जाते हैं जबकि डेंगू के इलाज में कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। अगर किसी को 3-4 दिनों तक बुखार के साथ दर्द रहता है और सामान्य उपायों से आराम नहीं मिल रहा है तो समय रहते खून का जांच कराना आवश्यक हो जाता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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