हृदय रोगों का खतरा वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हुए हैं। अध्ययनों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के बाद हृदय रोगों और इसके कारण होने वाली मौत के मामलों में तेजी से उछाल आया है। भारत के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है यहां 30 से कम आयु वाले लोगों में भी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ा है। गौरतलब है कि हृदय रोग दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
हृदय रोगों की गंभीर स्थितियां जैसे हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। ये दोनों अलग-अलग तरह से हृदय को प्रभावित करती हैं, हालांकि अधिकतर लोग हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक को एक ही समस्या मान लेते हैं। कहीं आप भी उनसे तो नहीं हैं?
आइए जानते हैं कि हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक में क्या अंतर है और इनसे हृदय स्वास्थ्य किस प्रकार से प्रभावित होता है?
हृदय के कार्य महत्वपूर्ण
हृदय एक पंप की तरह से काम करता है जो पूरे शरीर में सभी ऊतकों तक रक्त का संचार करता है। यह कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि रक्त की निरंतर आपूर्ति के बिना कोशिकाएं सही ढंग से काम नहीं कर पाती हैं और इसके नष्ट (डेड) होने का खतरा रहता है। यही कारण है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हृदय का ठीक तरीके से काम करते रहना जरूरी माना जाता है। जिन लोगों में हृदय रोगों का निदान किया जाता है उन्हें और भी सावधानी बरतते रहना जरूरी है।
आइए जानते हैं हृदय रोगों की गंभीर स्थिति में होने वाले हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक में क्या अंतर है?
हार्ट अटैक का जोखिम
हार्ट अटैक या दिल के दौरे को मेडिकल की भाषा में मायोकार्डियल इंफार्क्शन कहा जाता है। ये तब होता है जब हृदय के किसी हिस्से में रक्त के प्रवाह में अचानक कमी आ जाती है। आमतौर पर यह रक्त के सामान्य प्रवाह में रुकावट के कारण होता है। धमनियों में किसी प्रकार का अवरुद्ध होना, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने या उच्च रक्तचाप के कारण हार्ट अटैक का खतरा रहता है। डॉक्टर बताते हैं, हार्ट अटैक के लक्षणों की समय रहते पहचान कर अगर रोगी को सीपीआर दे दिया जाए तो इससे जान बचाने में मदद मिल सकती है।
हार्ट फेलियर क्या है?
हार्ट फेलियर को कंजेस्टिव हार्ट फेलियर भी कहा जाता है। ये ऐसी स्थिति है जब किन्हीं कारणों से हृदय, हमारे पूरे शरीर में ठीक तरीके से रक्त पंप नहीं कर पाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला- या तो हृदय में पर्याप्त मात्रा में रक्त न भर पाए, दूसरा पूरे शरीर में रक्त को पंप करने के लिए हृदय बहुत कमजोर हो जाए।
आमतौर पर, किसी तरह की चिकित्सीय स्थिति जो हृदय पर अत्यधिक दबाव डालती है, चोट या संक्रमण के कारण हृदय में इस तरह की समस्या होने का जोखिम रहता है।
कौन सा ज्यादा खतरनाक?
दिल के दौरे की स्थिति में अगर रोगी को शुरुआती उपचार मिल जाए तो हृदय की मांसपेशियों को होने वाले गंभीर नुकसान से बचाया जा सकता है। सीपीआर जैसे प्रारंभिक उपायों में इसमें सबसे कारगर माना जाता है। इसके विपरीत हार्ट फेलियर का कोई इलाज नहीं है। हार्ट फेलियर से बचे लोगों में कुछ सहायक उपचार के माध्यम से लक्षणों के गंभीर होने से रोकने और व्यक्ति को लंबे समय तक जीने में मदद करने का प्रयास किया जाता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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