सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों की तर्ज पर इस बार भी राजस्थान, मिजोरम, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में एक चरण तथा नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान हो सकता है।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने शुक्रवार को पर्यवेक्षकों के साथ बैठक की। उन्होंने पर्यवेक्षकों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि धनबल के खतरे को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाए। साथ ही चुनाव हिंसा मुक्त हों। सूत्रों के मुताबिक, आयोग मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव का एलान 8 से 10 अक्तूबर के बीच कर सकता है।
नवंबर के दूसरे हफ्ते से दिसंबर के पहले सप्ताह के बीच मतदान कराया जाएगा और नतीजे 15 दिसंबर से पहले घोषित किए जा सकते हैं। चुनाव आयोग की पुलिस, सामान्य और व्यय पर्यवेक्षकों के साथ दिन भर चली बैठक का मकसद रणनीति को सुव्यवस्थित करना था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी ढंग से लागू हो और धन तथा बाहुबल चुनाव को किसी तरह प्रभावित न करें। साथ ही निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी चुनाव कराने के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित हो।
2018 की तरह एक चरण में चुनाव संभव
सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों की तर्ज पर इस बार भी राजस्थान, मिजोरम, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में एक चरण तथा नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान हो सकता है। मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर जबकि राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवरी, मध्य प्रदेश 6 जनवरी, तेलंगाना 16 जनवरी और छत्तीसगढ़ विधानसभा का कार्यकाल 3 जनवरी को समाप्त हो रहा है।