अस्थायी नौकरियों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग वाली याचिका पर केंद्र ने भारत सरकार के कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की तरफ से पिछले साल 21 नवंबर को इस संबंध में जारी कार्यालय ज्ञापन के बारे में जानकारी दी।
केंद्र सरकार की 45 और उससे अधिक दिन की अस्थायी नौकरियों में भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ मिलेगा। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है। केंद्र ने यह भी कहा है कि उसने अपने सभी मंत्रालयों, विभागों को इसे सख्ती के साथ लागू करने के लिए निर्देश दिए हैं।
1968 और 2018 में जारी पहले के कार्यालय ज्ञापनों का हवाला देते हुए मौजूदा कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, यह दोहराया जाता है कि केंद्र सरकार के पदों और सेवाओं पर नियुक्तियों के संबंध में, 45 दिन या उसे अधिक समय तक चलने वाले अस्थायी नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण होगा।
इस कार्यालय ज्ञापन को संज्ञान में लेते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया। साथ ही यह स्पष्ट भी किया कि अगर इस कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन होता है तो याचिकाकर्ता या पीड़ित पक्ष कानून के अनुसार उचित उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र होगा। इसके अलावा पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील का बयान भी दर्ज किया कि 21 नवंबर 2022 के कार्यालय ज्ञापन का पालन करने में विफलता के मामलों से निपटने के लिए एक तंत्र मौजूद है।
संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला
कार्यालय ज्ञापन में आगे एससी और एसटी के कल्याण पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें पाया गया कि सभी विभागों की तरफ से अस्थायी नौकरियों में आरक्षण के निर्देशों का अक्षरश: पालन नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में मंत्रालय ने कहा है, सभी मंत्रालयों, विभागों को 45 दिन या उससे अधिक समय की अस्थायी नौकरियों में उपयुक्त समूहों को आरक्षण पूरी तरह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।