सरकार पहले ही लोकसभा, विधानसभाओं, पंचायत, पालिका और जिला परिषद के चुनाव एकसाथ कराने की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित कर चुकी है।
एक देश एक चुनाव को अगले आम चुनाव यानी 2024 से लागू करना संभव नहीं है। 2029 के लोकसभा चुनाव से इसे लागू किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग 2029 को ध्यान में रखकर ही एक फॉर्मूले पर काम कर रहा है। इसके तहत जरूरत के हिसाब से विधानसभाओं के कार्यकाल को बढ़ाया और घटाया जा सकता है।सरकार पहले ही लोकसभा, विधानसभाओं, पंचायत, पालिका और जिला परिषद के चुनाव एकसाथ कराने की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित कर चुकी है। विधि आयोग भी विशेष रूप से राष्ट्रीय व राज्य विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने पर काम कर रहा है। उसे स्थानीय निकाय चुनाव को भी अपने दायरे में लेने को कहा जा सकता है। एक देश एक चुनाव पर अभी विधि आयोग की रिपोर्ट तैयार नहीं है। कुछ मुद्दों पर पेच फंसा है। बुधवार को आयोग की बैठक के बाद आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा था, एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा पर चर्चा के दौरान किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए। लगता है, अंतिम रिपोर्ट भेजने से पहले कुछ और बैठकें करनी होंगी।
साझा मतदाता सूची पर भी काम
विधि आयोग लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावाें के लिए साझा मतदाता सूची सुनिश्चित करने के तौर-तरीकों पर भी काम कर रहा है। इससे लागत घटेगी और मानव श्रम बचेगा। अभी चुनाव आयोग व विभिन्न राज्य चुनाव आयोगों को इसके लिए अलग-अलग काम करना पड़ता है। आयोग ऐसे तंत्र पर भी काम कर रहा है, जिससे लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ हों, तो मतदाताओं को सिर्फ एक बार ही बूथ पर जाना पड़े।पहले भी बनी थी रिपोर्ट, पर नतीजा नहीं
इससे पहले 21वें विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान ने भी एक देश एक चुनाव को लेकर रिपोर्ट तैयार की थी। उस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि एक देश एक चुनाव लागू करने से पहले सांविधानिक और व्यावहारिक तैयारियां कर ली जाएं। कई राजनीतिक दलों से भी इस बाबत बात की गई थी। आयोग ने यह भी कहा था, मौजूदा सांविधानिक ढांचे में एक देश एक चुनाव को लागू नहीं किया जा सकता है। आयोग ने इसके लिए जरूरी बदलाव का सुझाव दिया था।
दो चरणों में त्रिस्तरीय चुनाव का सुझाव
विधि आयोग अब लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साल में दो चरणों में कराने का सुझाव दे सकता है। पहले चरण में लोकसभा व विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। दूसरे में निकाय और पंचायतीराज चुनाव कराए जा सकते हैं। सूत्रों ने कहा, यह देश में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए व्यावहारिक नजरिया है।