मुख्यमंत्री योगी ने इन सभी को एकीकृत करते हुए एक बोर्ड के अधीन करने के निर्देश दिए। इससे नए संस्थानों की स्थापना व विकास में प्रक्रिया सहज होगी, साथ ही उपाधि प्राप्त चिकित्सकों के पंजीकरण में भी आसानी होगी।
प्रदेश में आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा और योग पद्धति से जुड़े संस्थानों के संचालन और इस विधा के चिकित्सकों के पंजीकरण के लिए एकीकृत ”आयुष बोर्ड” का गठन होगा। आयुष विभाग की समीक्षा बैठक में शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह दिशा-निर्देश दिए। वर्तमान में आयुर्वेदिक, यूनानी और होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के लिए तीन अलग-अलग बोर्ड चल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने इन सभी को एकीकृत करते हुए एक बोर्ड के अधीन करने के निर्देश दिए। इससे नए संस्थानों की स्थापना व विकास में प्रक्रिया सहज होगी, साथ ही उपाधि प्राप्त चिकित्सकों के पंजीकरण में भी आसानी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलते समय के साथ युवाओं के बीच योग व नेचुरोपैथी में कॅरियर बनाने की चाह बढ़ी है। निजी क्षेत्र की ओर से योग व नैचुरोपैथी संस्थानों की स्थापना को लेकर प्रस्ताव भी मिल रहे हैं।
ऐसे में आयुष बोर्ड के अंतर्गत योग व नैचुरोपैथी संस्थानों के विनियमन और चिकित्सकों के पंजीयन की कार्यवाही की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित आयुष बोर्ड का मुखिया महानिदेशक होगा, वहीं आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी तथा योग, नैचुरोपैथी पद्धतियों के अलग-अलग निदेशक स्तर के अधिकारी इस व्यवस्था को संचालित करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि संस्थानों के लिए तय मानकों को व्यवहारिक बनाया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश तेजी से स्वास्थ्य पर्यटन के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। योग व नेचुरोपैथी जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित करना इस दिशा में काफी उपयोगी होगा। प्रदेश में स्थापित होने वाले नए संस्थानों में शोध-अध्ययन और पेटेंट को बढ़ावा देने के लिए भी विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।