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नार्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ हालिया संवाद के दौरान यह दावा भी किया कि भारत में सारी संस्थाएं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित हैं। सीबीआई, ईडी और आयकर जैसी एजेंसियों को हथियार बनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दलों का गठबंधन ‘INDIA’ आगे ऐसा होने नहीं देगा। राहुल ने कब कही यह बात राहुल गांधी ने हाल ही में यूरोप का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने ओस्लो विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ संवाद भी किया था। वे कई अन्य कार्यक्रमों में भी शामिल हुए थे। ओस्लो विश्वविद्यालय का उनका वीडियो कांग्रेस ने गुरुवार को जारी किया। राहुल क्या कहा? कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत के बारे में बात करते समय समय पहली बात यह समझनी होगी कि 2014 तक भारत में लोकतंत्र एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले राजनीतिक दलों के समूह से संबंधित था। तटस्थ संस्थाएं, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, हर किसी के लिए मीडिया तक पहुंच और हर किसी के लिए वित्तीय संसाधनों तक पहुंच थी। उन्होंने दावा किया कि 2014 में सब कुछ पूरी तरह बदल गया। हम अब किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं लड़ते। पूरा खेल बदल गया है। संस्थाएं आरएसएस से प्रभावित हैं। सीबीआई, ईडी और आयकर जैसी एजेंसियों को हथियार बनाया गया है। वे उन लोगों को निशाना बनाते हैं, जो भाजपा की विचारधारा का विरोध करते हैं। इसलिए अब हम किसी सामान्य राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में शामिल नहीं हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यह सच है। हालांकि, मेरे लिए वह एक कमजोर होता लोकतंत्र है। अब आपको अपनी आवाज व्यक्त करने की अनुमति नहीं है। आपको यह कहने की अनुमति नहीं है कि आप कैसा महसूस करते हैं। अब वहां बड़ी संख्या में लोगों को अवसर नहीं दिए जाते। विपक्षी गठबंधन को लेकर कही यह बात राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सत्ता में आने पर भारत की लोकतांत्रिक परंपरा को पुनः स्थापित किया जाएगा। हमारा गठबंधन विनिर्माण पर जोर देगा। हमारा गठजोड़ दलितों, आदिवासियों, अल्पंख्यकों और कमजोर तबकों को विकास की धारा के साथ जोड़ा जाएगा। विचारधारा की लड़ाई जारी रखूंगा: राहुल राहुल ने कहा कि मैं अपने देश में एक विशेष विचारधारा का बचाव करता हूं, जो महात्मा गांधी, गौतम बुद्ध और गुरु नानक की विचारधारा है। मैं इसके लिए लड़ता हूं। मैं नेता बनूं या न बनूं, यह बाद की बात है, लेकिन विचारधारा की लड़ाई जारी रखूंगा। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

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महिला आरक्षण विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में भी पास हो गया था। इसे उच्च सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया था। यह विधेयक लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी देता है।

Smriti Irani hails passage of women quota Bill Modi Hai Toh Mumkin Hai not a mere saying

संसद में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने खुशी जाहिर की। इस ऐतिहासिक पल के लिए उन्होंने सभी की सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खासतौर पर सराहना करते हुए कहा कि यह उपलब्धि यह दिखाती है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’ महज एक कहावत नहीं है।

दरअसल, लंबे समय से इस कानून की मांग की जा रही थी। आखिरकार इसे संसद की मिलने के बाद केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री कहा कि हमने अक्सर यह सुनते हैं कि मोदी है तो मुमकिन है। आज प्रधानमंत्री ने फिर से इस बात को साबित कर दिया है कि ये खोखले शब्द नहीं हैं।
इससे पहले लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पास हो गया। दिनभर की लंबी चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। बिल के पक्ष में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला।

इसी के साथ संसद और विधानसभाओं में महिला सशक्तिकरण की राह में बीते 27 साल से पड़ा सूखा खत्म हो गया और नए संसद भवन ने पहले ही सत्र में नारी शक्ति का वंदन करने का नया इतिहास रच दिया। इससे पहले विधेयक को बुधवार को लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी। लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत के साथ पास किया था। इसके पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे।

विधेयक के पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण है। 140 करोड़ भारतीयों को बधाई। मैं उन सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए वोट किया। इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में खुशी देने वाला है। संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत करते हैं।

उन्होंने कहा कि यह महज एक विधान नहीं है, यह उन अनगिनत महिलाओं को श्रद्धांजलि है जिन्होंने हमारे देश को बनाया है। भारत उनके लचीलेपन और योगदान से समृद्ध हुआ है। जैसा कि हम आज मनाते हैं, हमें अपने देश की सभी महिलाओं की ताकत, साहस और अदम्य भावना की याद आती है। यह ऐतिहासिक कदम यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि उनकी आवाज़ को और भी अधिक प्रभावी ढंग से सुना जाए।

क्या है महिला आरक्षण विधेयक?
पिछले दो दशक से अधिक समय से शायद ही कोई संसद सत्र होगा जिसमें महिला आरक्षण की बात न उठी हो। इस बार दोनों सदनों से पास हुआ बिल संविधान संशोधन विधेयक है, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान है। इसी 33 फीसदी में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी है।
देश में महिला आरक्षण का इतिहास क्या है?

  • देश की संसद में महिला आरक्षण विधेयक पहली बार तो 1996 में पेश हुआ लेकिन इसकी नींव 1992 में हुए 73वें और 74वें संविधान संशोधन द्वारा रखी जा चुकी थी।
  • दरअसल, सत्ता के विकेंद्रीकरण का सपना सच करने के लिए संविधान में 73वां और 74वां संशोधन का फैसला किया गया था।
  • 1992 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में दोनों संशोधन पारित हुए। इन्हें एक जून 1993 से राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया। अनुच्छेद 243 (डी) और 243 (टी) को संविधान में शामिल किया गया और देश में पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें सुरक्षित की गईं।
  • संविधान के अनुच्छेद 243 D के प्रावधानों के अनुसार, पंचायती राज संस्थाओं की एक तिहाई सीटें और संविधान के भाग IX के अंतर्गत आने वाली पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों पर अध्यक्ष के एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए।
  • संविधान के अनुच्छेद 243 T में प्रावधान है कि प्रत्येक नगर पालिका में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी गई सीटों की कुल संख्या का न्यूनतम एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।

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