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हंगामे के बीच सिनेमेटोग्राफ विधेयक लोकसभा में भी पारित, पायरेसी मामले में होगी तीन साल की जेल

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लोकसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा, पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग के साथ सरकार को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता था। फिल्म उद्योग को सालाना 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता था।

संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही पर लगातार आठवें दिन मणिपुर हिंसा मामले में विपक्ष का हंगामा भारी पड़ गया। तीसरे सप्ताह के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही ठप रही। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर तत्काल चर्चा कराने पर अड़े विपक्ष ने वेल में आ कर जम कर नारेबाजी की। विपक्ष के हंगामे के बीच ध्वनि मत से सिनेमेटोग्राफ संशोधन विधेयक पारित कराने के बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में हंगामे के बीच ही करीब 15 मिनट तक प्रश्नकाल चलाने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर कागजात पटल पर रखवाने के बाद आनन-फानन सिनेमेटोग्राफ संशोधन बिल को पारित कराने के लिए पेश किया गया। विधेयक ध्वनि मत से पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

चार बिल लटके
लोकसभा में सरकार की योजना तीन संविधान संशोधन बिल पेश करने और जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक पारित कराने की थी। तीनों में अलग-अलग राज्यों में कुछ जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव था। हालांकि न तो ये बिल पेश हुए और न ही जन्म और मृत्यु विधेयक पारित हो पाया।

पायरेसी मामले में तीन साल की होगी जेल 
फिल्म जगत को पायरेसी से बचाने के लिए सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 में संशोधन करने वाला सिनेमेटोग्राफ (चलचित्र) संशोधन विधेयक पर राज्यसभा के बाद सोमवार को लोकसभा की भी मुहर लग गई। राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद पायरेसी मामले में अब तीन साल की सजा और फिल्म की लागत का पांच फीसदी जुर्माना लगाने का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं, दर्शकों की तीन नई श्रेणियां बनाई गई हैं।

लोकसभा में विपक्ष के भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने विधेयक को पारित करने के लिए पेश किया। इस पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए ठाकुर ने कहा, इसकी लंबे समय से प्रतीक्षा थी। पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग के साथ सरकार को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता था। फिल्म उद्योग को सालाना 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता था। उन्होंने कहा कि कई अहम बदलाव लाने के लिए सभी पक्षों से विस्तृत बातचीत की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे संबंधित कानून सात दशक पुराना था। इस बीच डिजिटल क्रांति के बाद इस कानून में व्यापक बदलाव की जरूरत थी।

दर्शकों की ये नई श्रेणियां
संशोधन विधेयक में सेंसर बोर्ड द्वारा दर्शकों से संबंधित जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्र में भी बदलाव किया गया है। अब इसकी तीन की जगह छह श्रेणियां होंगी। पहले यू, यूए और ए श्रेणी थी। अब नई श्रेणी यूए 7+, यूए 13+ और यूए 16+ शामिल की गई है। मतलब अब सात, 13+ और 16+ साल से कम उम्र के बच्चे ऐसी श्रेणियों की फिल्में अपने माता-पिता के साथ देख सकेंगे। पहले यू श्रेणी की फिल्म सभी लोग, यूए श्रेणी की फिल्म माता-पिता के साथ और ए श्रेणी की फिल्म महज वयस्क दर्शक ही देख सकते थे।

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