ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर शुल्क लगाने के प्रस्ताव पर भारत सकारात्मक रुख अपनाया। भारत ने कहा कि इन फैसलों के पीछे का मकसद किसी उद्योग को दंड देना बिल्कुल नहीं है। बल्कि, हरित ऊर्जा में परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है।
भारत ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन को यथार्थवादी लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है। भारत ने आईएमओ से कहा कि 2030 तक समुद्री ईंधन मिश्रण के पांच प्रतिशत में शून्य कार्बन हो। आईएमओ की समुद्री पर्यावरण संरक्षण समिति के 80वें सत्र में भारत भी शामिल हुआ। सत्र में भारतीय प्रतिनिधि अजितकुमार सुकुमारन ने कहा कि अवास्तविक लक्ष्य सरकारों पर अनुचित दबाव डालेगा।
जलवायु परिवर्तन का भारत पर खतरा
जहाजरानी मंत्रालय के मुख्य सर्वेक्षक-सह-अतिरिक्त महानिदेशक सुकुमारन ने कहा कि अवास्तविक लक्ष्य के कारण सरकार पर त्रुटिपूर्ण नीतियों, अस्थिर निवेश और आधे-अधूरे, अपरिपक्व तकनीकी समाधानों के लिए दबाव पड़ेगा, जिसका व्यापार पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। इस वजह से भारत जलवायु परिवर्तन सूचकांक में काफी खतरनाक श्रेणी में आता है। भारत ने एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें सुनिश्चित किया गया था कि परिवर्तन किसी को पीछे छोड़े बिना सुचारू और समावेशी हो।
हरित ऊर्जा में परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है उद्देश्य
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर शुल्क लगाने के प्रस्ताव पर भारत ने सकारात्मक रुख अपनाया। भारत ने कहा कि इन फैसलों के पीछे का मकसद किसी उद्योग को दंड देना बिल्कुल नहीं है। बल्कि, हरित ऊर्जा में परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है। भारत ने आगाह किया कि कोई भी आर्थिक उपाय अकेले पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकता। भारतीय प्रतिनिधि ने चीन, नॉर्वे, जापान और आईसीएस सहित विभिन्न सह-प्रायोजकों को धन्यवाद कहा। सुकुमारन ने कहा कि हम इनमें योग्यता देखते हैं। हालांकि, इसमें अधिक सुधार और संयोजन की आवश्यकता है। भारत ने समुद्री क्षेत्र से उत्सर्जन के सभी पहलुओं को दिल से समर्थन देने के लिए कसम खाई।