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बैटरी, एथेनॉल, मेथेनॉल से चलने वाले टूरिस्ट वाहनों पर नहीं लगेगा परमिट शुल्क, इस दिन से होगा लागू

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एक मई से बैटरी (इलेक्ट्रिक), इथेनॉल और मेथेनॉल से चलने वाले पर्यटक वाहनों को परमिट हासिल करने और रिन्यू कराने के लिए फीस का भुगतान करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। संबंधित राज्य परिवहन प्राधिकरणों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे आवेदन मिलने की तारीख से सात दिनों के भीतर “ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट (AITP)” वाहनों के लिए परमिट जारी करें।

सड़क परिवहन मंत्रालय ने पर्यटक वाहनों के लिए परमिट जारी करने को कारगर बनाने और पर्यटक वाहन ऑपरेटर्स को होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए इन बड़े बदलावों को अधिसूचित किया है। अधिसूचना में, मंत्रालय ने कहा, “यदि आवेदन मिलने के सात दिनों के भीतर परिवहन प्राधिकरण द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो परमिट को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के जरिए उत्पन्न और दिया गया माना जाएगा।”

उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि संशोधित नियम पर्यटक वाहनों के लिए परमिट व्यवस्था को सुव्यवस्थित और सरल बनाकर भारत में पर्यटन क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा देंगे।

परमिट फीस में एक बड़ा बदलाव यह किया गया है, कि फीस का भुगतान पर्यटक वाहनों को या तो सालाना या त्रैमासिक रूप से करना होता है। उदाहरण के लिए, एक AITP टैक्सी सालाना 20,000 रुपये या 6,000 रुपये तिमाही भुगतान करने का विकल्प चुन सकती है। इसी तरह, 5-9 यात्रियों को ले जाने की क्षमता वाला एक पर्यटक वाहन या तो 30,000 रुपये का वार्षिक शुल्क या 9,000 रुपये का त्रैमासिक शुल्क दे सकता है। 23 से ज्यादा यात्रियों को ले जाने की क्षमता वाली बसों के मामले में, वार्षिक शुल्क 3 लाख रुपये और त्रैमासिक शुल्क 90,000 रुपये निर्धारित किया गया है।

कम क्षमता वाले वाहनों के लिए कम परमिट शुल्क के साथ पर्यटक वाहनों की अधिक श्रेणियों के प्रावधान से छोटे ऑपरेटरों को काफी वित्तीय राहत मिलने की उम्मीद है। क्योंकि उनके पास जो वाहन हैं उनमें कम यात्रियों के बैठने की क्षमता है, इसलिए अब उन्हें बैठने की क्षमता के अनुरूप कम शुल्क का भुगतान करना होगा। ।

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