पशुओं को खिलाए जाने वाला चारा भी अब सस्ता नहीं रहा। चारे और गेहूं के भावों में अंतर अधिक नहीं रहा है। पशु चारे का भाव 15 से 16 रुपए प्रति किलो है जबकि गेहूं का भाव 20 से 21 रुपए प्रति किलो है। इस हिसाब से चारा और गेहूं के भाव में अधिक अंतर नहीं रहा है। चारे की रेट में गेंहू मिलने के कारण लोग पशुओं को गेंहू ही खिला रहे हैं। पशुओं का चारा महंगा होने से ग्रामीण क्षेत्रों में किसान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलने वाले गेहूं को पशुओं को खिलाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के पास अपनी आवश्यकता का गेहूं उपज के रूप में मिल जाता है जिससे उनको मिलने वाले गेहूं को वो अपने ही पशुओं को खिलाते हैं। जानकारी के अनुसार इस बार गेहूं की कमी नहीं है जबकि चारा उपलब्ध होना मुश्किल हो रहा है।
किसान नेता चौधरी रंगलाल लमोरिया ने बताया इस बार गेहूं के निर्यात पर रोक लगने से इसके भाव कम हो गए हैं। गेहूं के स्टॉक की सीमा आने की संभावना जताई जा रही हैं जिसके लागू होने पर गेहूं के भाव तो अधिक नहीं होंगे। दूसरी ओर तूड़ा यानि चारा महंगा हो सकता है। यह भी हो सकता है कि एक दिन चारा और गेहूं के भाव एक हो जाएं। गेहूं कटाई से निकलने वाला तूड़ा चारा इस बार जिले में अधिक नहीं था। झुंझुनू में चारा होता है लेकिन गेंहू का रकबा कम था। इसलिए तूड़े की बहुत अधिक कमी है। झुंझुनू में चारा हरियाणा से ज्यादा आता है। पड़ोसी राज्य हरियाणा से चारा नहीं आ रहा है, इसलिए भी काफी महंगा मिल रहा है। सरकार ने अन्य राज्यों से आने वाले तूड़े पर रोक लगा दी। जिसका परिणाम यह रहा कि तूड़ा पिछले सालों की तुलना में कई गुना महंगा हो गया।