राजस्थान के परिवहन मंत्री बृजेन्द्र ओला के गृह जिले में राजस्थान रोडवेज कंडम बसों में लोगों को यात्रा करवा रहा है। नई बसें नहीं मिलने के कारण पुरानी बसों के ही रंग रोगन कर काम चलाया जा रहा है। झुंझुनू डिपो में 13 बसें तो ऐसी है जो 2013 में झुंझुनू डिपो को मिली थी। वहीं करीब 31 बसें ऐसी जो आठ लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुकी है। नियमानुसार ये सभी बसे कंडम हो चुकी है। लेकिन बसों की कमी के कारण इन्ही कंडम बसों से काम चलाया जा रहा है।
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम पिछले आठ-दस सालों से स्टाफ व बसों की कमी से जूझ रहा है। झुंझुनू डिपो में तत्काल 25 से 30 बसों की जरुरत है। वर्तमान में पुरानी या करीब करीब निर्धारित मियाद पूरी कर चुकी बसों को रंग-रोगन कर उनका मेंटेनेंस कर कमी को पूरा किया जा रहा है।
नियमानुसार आठ साल पुरानी या 10 लाख किमी चल चुकी बसों को कबाड़ घोषित कर उसे रोडवेज के बेड़े से बाहर कर दिया जाता है। लेकिन पिछले करीब चार-पांच वर्ष से नई बस नहीं मिलने के कारण रोडवेज प्रबंधन उन्हें कंडम घोषित नहीं कर पा हा है। इन्हीं बसों को रूट पर चलाया जा रहा है। झुंझुनू डिपो में 80 बसें हैं। इनमें से 25 से 30 बसें ऐसी हैं जो नियमानुसार कंडम घोषित करने की ओर है। डिपो में बसों की कमी भी महसूस हो रही है। बसों की कमी की वजह से शेड्यूल को घटना भी पड़ता है।
रोडवेज में स्टाफ की कमी है। हर माह स्टाफ रिटायर होता है। झुंझुनू डिपो में ड्राइवरों के 167 पद स्वीकृत है। लेकिन ड्राइवरों की संख्या है 130 ही है। ड्राइवर के 37 पद रिक्त है। झुंझुनू रोडवेज डिपो में कंडक्टरों के 165 पद स्वीकृत है। इनमें से 150 ही कंडक्टर के पद भरे हुए हैं 15 पद खाली है।
झुंझुनू रोडवेज डिपो के मुख्य प्रबंधक गणेश शर्मा ने कहा कि हमारे यहां से नई बसों के लिए डिमांड भेज रखी है। मुख्यालय से मिलने पर ही बेड़े में नई बसें शामिल करना संभव हो पाएगा।