तीन साल के बाद इंदौर कोरोना से पूरी तरह मुक्त हो गया है। न कोई नया मरीज मिला और न ही अस्पताल में उपचार के लिए कोई कोरोना संक्रमित भर्ती है। नहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा रोज जारी किए जाने वाले कोरोना बुलेटिन में यह संख्या तीन साल बाद जीरो दर्ज हुई है। दरअसल जांच में तो कई बार नया संक्रमित मिलता था, लेकिन पुराने कोरोना मरीज बने रहते थे। सोमवार को नए-पुराने कोई भी मरीज शहर में नहीं रहे। अंतिम दो मरीज भी होम आइसोलेशन में स्वस्थ हो गए।
सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने 179 लोगों की जांच की, जिसमें एक भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला। इंदौर में इन 32 माह के दौरान 2 लाख 12 हजार 511 पॉजिटिव मरीज मिले, जिनमें 1469 की मौत हुई और 211042 मरीज स्वस्थ हो गए। 38 लाख 63 हजार से अधिक कोरोना टेस्ट अब तक करवाए गए। पिछले दिनों हवाई यात्रियों के लिए मास्क से भी निजात दी गई। अब विदेश से आने वाले यात्रियों को एयर सुविधा फार्म भरने से भी मुक्त कर दिया।
कोरोना की दूसरी लहर थी सबसे घातक
इंदौर में कोरोना की दूसरी लहर सबसे घातक साबित हुई थी। अस्पताल में बेड नहीं थे। आक्सीजन भी मरीजों को नहीं मिल पा रही थी। दूसरी लहर में इतनी ज्यादा मौतें हुई थी कि तब श्मशान घाटों में भी जगह कम पड़ गई थी और परिसर में रखकर शव जलाए जा रहे थे।
सर्तकता डोज भी नहीं लग रहे है
शहर में कोरोना के टीके लगाने को लेकर भी अब लोगों में दिलचस्पी नहीं है। अस्पताल में इक्का दुक्का लोग ही टीके लगवाने जा रहे है। स्टॅाक में भी 300 टीकें रखे है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यदि भी 20-25 दिनों तक चल जाएंगे।