शिवसेना ने फिर एक बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर हमला बोला है। शिवसेना ने राज्य में बढ़ रही बंधुआ मजदूरी प्रथा का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री शिंदे ने महाराष्ट्र को बंधुआ बनाने का ठेका दिल्ली से ले लिया है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादकीय के माध्यम से यह हमला शिंदे पर बोला गया है। सामना ने लिखा है कि जिस महाराष्ट्र में ‘मिंधे’ गुट के विधायक पचास-पचास खोके में बिक गए उसी महाराष्ट्र में ठाणे, पालघर, अहमदनगर जिले में आदिवासियों के अबोध बच्चे केवल ५०० रुपए में बंधुआ मजदूर के तौर पर बेचे जा रहे हैं। शिवराय के महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायकों को तोड़ने के लिए प्रत्येक को पचास खोके लेकिन गरीबों के बच्चों के मासूम बचपन को पांच सौ रुपए में बेचा जा रहा है। यह तस्वीर भयानक है। मुख्यमंत्री राज्य को प्रगति पथ पर ले जाने की भाषा बोलते रहते हैं। उसके लिए दिल्ली में मुजराबाजी शुरू है। लेकिन जिस ठाणे जिले के वे पिछले दस वर्षों से पालक मंत्री हैं, वही जिला नर्क बन गया है। ठाणे-पालघर जिला गुलामी की चपेट में है, वहीं राज्य की ‘मिंधे’ सरकार राजनीति और शिवसेना विरोधी साजिशों में मशगूल है।
”महाराष्ट्र को बंधुआ बनाने का ठेका …दीपक तले अंधेरा” शीर्षक से लिखी गई संपादकीय में कहा गया है कि राज्य में किसानों की आत्महत्या और कुपोषण से मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री दिल्ली जाकर कहते हैं कि उन्होंने राज्य को आगे बढ़ाने का ठेका लिया है। महाराष्ट्र में जो कभी नहीं हुआ, वह अब होने लगा है। मंदिरों में डाके पड़ने लगे हैं। जालना के जांब स्थित समर्थ रामदास स्वामी मंदिर के देवता की प्राचीन मूर्ति चोरी हो गई और चोर अभी तक मुक्त हैं। नांदेड, बीड जैसे इलाकों में भगवान पर डाके पड़े। कहीं दानपेटी चोरों ने लूट ली तो कहीं मंदिर के सोने का कलश काट ले गए। क्या इसे ही विकास का ठेका माना जाए? मंदिर लूटे जा रहे हैं। ऐसे में मिंधे गुट का हिंदुत्व कुंभकर्ण की तरह कहां खर्राटे ले रहा है? जहां भगवान सुरक्षित नहीं, वहां हिंदुत्ववादी सरकार सत्ता में है, ऐसा कहना मजाक है।