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अखाड़ा परिषद ने ज्योतिष पीठ पर अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति को ठहराया

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Prayagraj News :  रवींद्र पुरी महाराज। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष।

ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के पद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पट्टाभिषेक को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने शुक्रवार को अमान्य ठहरा दिया। पट्टाभिषेक के 12 दिन बाद अखाड़ा परिषद ने इस नियुक्ति को परंपरा और शास्त्र दोनों के विपरीत करार दिया। अखाड़ा परिषद का कहना है कि संन्यासी अखाड़ों की मौजूदगी के बिना शंकराचार्य के पद पर नियुक्ति को मान्यता नहीं दी जा सकती।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी महाराज ने ज्योतिष्पीठाधीश्वर के पद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का विरोध तब किया, जब षोडशी के उपलक्ष्य में प्रयागराज के मनकामेश्वर मंदिर से लेकर परमहंसी आश्रम तक भंडारे में देशभर से संतों-अनुयायियों को आमंत्रित किया गया था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि जगद्गुरु के ब्रह्मलीन होने के एक दिन बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पद पर हुई नियुक्ति गलत है। शंकराचार्य की षोडशी होने से पहले सनातन धर्म के इस सर्वोच्च पद पर की गई नियुक्ति अनाधिकार उठाया गया कदम है।

 

उन्होंने कहा कि संन्यासी अखाड़ों की उपस्थिति में ही शंकराचार्य की घोषणा होती रही है। इस तरह जल्दबाजी में शंकराचार्य के पद पर नियुक्ति सनातन धर्म के लिए नुकसानदायक है। स्मरण कराया कि इससे पहले वर्ष 1941 में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती को इस पद पर पंचदशनाम जूना अखाड़ा व अन्य अखाड़ों की मौजूदगी में ज्योतिष पीठ गठित की गई थी। वसीयत के आधार पर शंकराचार्य पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती।

बकौल अखाड़ा परिषद अध्यक्ष, यह पद आदि शंकराचार्य की ओर से स्थापित चारों पीठों में से एक सर्वोच्च पद है। शंकराचार्य उसी को बनाया जा सकता है, जो आदि शंकराचार्य के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने वाला हो, जिसके पास जन समूह हो। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य के रूप में इसलिए भी मान्यता नहीं दी जा सकती, क्योंकि इस पीठ का विवाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। 12 सितंबर को परमहंसी आश्रम में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का पट्टाभिषेक हुआ था।

द्वारका-शारदा, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य रहे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद दोनों पीठों पर उनके उत्तराधिकारी के तौर पर दो शंकराचार्यों की नियुक्ति की घोषणा की गई थी। तब इन पीठों पर स्वामी स्वरूपानंद के उत्तराधिकारी के तौर पर द्वारका-शारदा पीठ पर स्वामी सदानंद को और ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य घोषित किया गया था।

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