डीएम की ओर से मजिस्ट्रेट तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी की अध्यक्षता में गठित विभागीय जांच कमेटी ने राजरूपपुर बाल गृह में यौन शोषण की शिकायत को सिरे से खारिज कर दिया है। टीम ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट को भी नकार दिया है। डीपीओ की ओर से विभाग को बदनाम करने के आरोप में सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
सीडब्ल्यूसी के पास बाल गृह में अव्यवस्था के साथ यौन शोषण की भी शिकायत पहुंची थी। सीडब्ल्यूसी की ओर से तीन दिन पहले इसकी रिपोर्ट जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से डीएम को भेजी गई थी। दोनों अफसरों ने इस तरह के किसी रिपोर्ट से इंकार किया था। इस बाबत अखबारों में खबर छपने के बाद डीएम ने बृहस्पतिवार को मजिस्ट्रेट ज्योति मौर्या एवं बहरिया के बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार की जांच टीम गठित की।
डीपीओ की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय टीम ने भी सभी से पूछताछ की। टीम में शामिल काउंसलर ने बच्चों की काउंसलिंग भी की। डीपीओ पंकज कुमार मिश्रा का कहना है कि किसी भी बच्चे एवं अभिभावक ने यौन शोषण की बात नहीं कही। सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन भी कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं करा पाए।
डीपीओ के अलावा मजिस्ट्रेट को भी जांच सौंपी गई थी। रिपोर्ट आ गई है। उसमें यौन शोषण जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। किसी भी बच्चे ने इस तरह की बात नहीं कही। बाल गृह में अव्यवस्था होने की बात सामने आई है। उसे दूर किया जाएगा। – संजय कुमार खत्री, डीएम
एक बच्चे की मां ने 18 अगस्त को यौन शोषण की शिकायत की थी। घर जाकर भी महिला से पूछताछ की गई थी। बाद में संस्था में कई अन्य तरह की अव्यवस्था होने की शिकायतें भी आईं। पूरी रिपोर्ट डीएम और डीपीओ को भेजी गई है। सीडब्ल्यूसी कार्यालय में तैनात कम्प्यूटर ऑपरेटर को अक्सर आठ से 10 दिनों के लिए डीपीओ कार्यालय में बुला लिया जाता है। इसकी वजह से रिपोर्ट तैयार करने में देरी हुई। मुझ पर यह स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि मीडिया में मैंने ही रिपोर्ट जारी की है। – अखिलेश मिश्र, चेयरमैन-बाल कल्याण समिति
डीएम और विभागीय जांच में राजरूपपुर बाल गृह में यौन शोषण की बात भले ही खारिज कर दी गई है लेकिन पूरे मामले से जिम्मेदार अफसरों की भूमिका तथा व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। यौन शोषण जैसे गंभीर मामले में भी बाल कल्याण समिति ने रिपोर्ट भेजने में एक महीने लगा दिए।
गौर करने वाली बात यह है कि सीडब्ल्यूसी ने तीन दिन पहले ही रिपोर्ट जिला प्रोबेशन को रिपोर्ट भेज दी थी। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने भी रिपोर्ट मिलने की बात तो स्वीकारी लेकिन बृहस्पतिवार सुबह तक वह यही कहते रहे कि इसमें यौन शोषण जैसा कोई बिंदु नहीं है। जबकि, रिपोर्ट का एक पैरा अभिभावकों की इसी शिकायत पर है।
इसके अलावा पूरे मामले की जांच रिपोर्ट को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। जांच टीम के सदस्यों की ओर से सभी पक्षों से पूछताछ की बात तो कही जा रही है लेकिन बच्चे की चिकित्सीय जांच नहीं कराई गई।
सोशल मीडिया पर जिम्मेदारों की बर्खास्तगी की मांग
बाल गृह में यौन शोषण की शिकायत पर लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। लोगों ने जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। सपा के वरिष्ठ नेता सुनील यादव ने ट्वीट किया है कि प्रयागराज में बालगृह तक बच्चों के लिए काल बन गए है। यौन शोषण जैसी खबरें आ रही हैं, जो शर्मनाक है। सरकार को लीपापोती छोड़ सख्त एक्शन लेना चाहिए। अनुराधा, अजीत यादव आदि ने भी ट्वीट करके जिम्मेदार अफसरों को बर्खास्त करने की मांग की है।