कचहरी में 11 मार्च 2015 को वकील नबी अहमद की हत्या के बाद पूरा क्षेत्र जल उठा था। दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था तो पचासों गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई थी। बवाल के दौरान कई वकील और पुलिस वाले घायल हो गए थे। वकीलों का आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया था। आरोपी दरोगा को घटना के तीन दिन बाद गिरफ्तार किया गया, तब जाकर मामला शांत हुआ।
घटना वाले दिन कचहरी लंच तक रोज की तरह बिल्कुल सामान्य थी। इसी बीच पार्किंग क्षेत्र में दरोगा शैलेंद्र सिंह और वकील नबी अहमद के बीच बहस हो गई। वकील संख्या में ज्यादा थे, वे भारी पड़े। इसी बीच दरोगा ने रिवाल्वर निकाल ली। कोई कुछ समझ पाता कि शैलेंद्र ने वकील नबी पर गोली चला दी। वह तड़पते हुए गिरे और उनकी मौत हो गई।
एसएसपी ने शहर ही नहीं पूरे जिले से फोर्स मंगवा ली लेकिन बवाल काबू में नहीं आ रहा था। पीएसी और आरएएफ को भी कॉल किया गया। वकीलों का प्रदर्शन अगले दिन हाईकोर्ट और पूरे प्रदेश में फैल गया था।
वकील की हत्या करने वाला दरोगा शैलेंद्र सिंह तीन दिन बाद पकड़ा गया। शैलेंद्र अंबेडकर नगर का रहने वाला है। पुलिस की एक टीम पहले ही अंबेडकर नगर भेज दी गई थी लेकिन प्रयाग स्टेशन के पास से पकड़ा गया। वह कहीं भागने के फिराक में था।
हत्याकांड के बाद अदालतों की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट ने बनाई थी कमेटी
कचहरी में वकील नबी अहमद की हत्या के बाद हाईकोर्ट ने बवाल की जांच और निचली अदालतों में सुरक्षा के उपायों के लिए एक न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कमेटी का भी गठन किया था।
दरोगा की पत्नी की अर्जी पर हाईकोर्ट ने केस रायबरेली किया था ट्रांसफर
दरोगा शैलेंद्र सिंह की पत्नी सपना सिंह ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि वह बिल्कुल अकेली पड़ गई है। उसे कोई वकील नहीं मिल रहा है। इसी को आधार बनाकर उसने पति शैलेंद्र सिंह के खिलाफ चल रहे हत्या के मुकदमे की सुनवाई किसी और जिले से कराने का आग्रह किया था। उसकी अर्जी पर हाईकोर्ट ने केस रायबरेली ट्रांसफर कर दिया था।