न्याय प्रक्रिया के संचालन में कानून की ज्यादातर किताबों के अतिरिक्त इलाहाबाद हाईकोर्ट का सारा कामकाज भी भले ही अंग्रेजी में हो रहा है, लेकिन कई न्यायमूर्तियों ने हिंदी में अपने आदेश देकर हिंदी का मान बढ़ाया है। हिंदी में निर्णय सुनाने वालों में न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमसेरी, न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय तो है ही, हाईकोर्ट में हिंदी में बहस करने वाले अधिवक्ताओं की संख्या भी बढ़ी है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमसेरी ने सप्ताह भर पहले एक आपराधिक मामले का फैसला हिंदी में सुनाया था। मामला बरेली से मुरादाबाद लाए गए आरोपियों के हथकड़ी खोलकर भागने के बाद बर्खास्त सिपाहियों से जुड़ा हुआ था। कोर्ट ने अपना फैसला हिंदी में सुनाकर हिंदी पखवारे की शुरुआत की।
इसी तरह न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले एक जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला हिंदी में सुनाया। इसमें उन्होंने कोरोना को देखते हुए यूपी विधानसभा चुनाव टालने का आग्रह पीएम और चुनाव आयोग से किया था। इसके पहले गाय के मामले में दिय गया उनका फैसला भी हिंदी में था, जिसे ऐतिहासिक माना जाता है।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन केअध्यक्ष राधाकांत ओझा कहते हैं, वर्तमान में वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्रा सहित कई ऐसे अधिवक्ता हैं, जो हिंदी में ही बहस कर रहे हैं। खासकर आपराधिक मामलाें में भी ज्यादातर हिंदी में ही बहस की जा रही है. ऐसे अधिवक्ताओं की संख्या बढ़ी है। इससे हाईकोर्ट में भी हिंदी का औरा बढ़ा है, जो आने वाले दिनों में कम नहीं होगा, बढ़ता ही जाएगा।