पुरानी कहावत हैं प्रयाग मुंडे, काशी ढूंढे और गया पिंडे.. इस बात से हम सभी अवगत है कि धर्म नगरी काशी में 33 कोटि देवी-देवताओं ने देवाधिदेव महादेव से आसरा ले रखा है।इतिहास से भी प्राचीन इस नगरी में कई ऐसे पौराणिक मंदिर हैं जिनके इर्दगिर्द हम रहते हुए भी उसके महात्म्य से वंचित हैं। ऐसे ही एक मंदिर का पता चला जब श्री लाट भैरव भजन मण्डल के सदस्यगण साप्ताहिक स्वच्छता अभियान के तहत पीलीकोठी स्थित धनेसरा मठ पहुंचे।
मठ के पिछले हिस्से में खर पतवार से पटा एक दुर्लभ मंदिर मिला। मंदिर के महंत प्रमोददास के कथनानुसार माता पार्वती यहीं पर सती हुई थीं। यहीं से उन्होंने कामरु कामाख्या को प्रस्थान किया था। तंत्र साधना के दुर्लभ स्थान पर संस्था के सदस्यों ने स्वच्छता रूपी साधना की। लगभग तीन घंटे तक दर्जनों की संख्या में उपस्थित कार्यकर्ताओं ने श्रमदान कर साफ-सफाई की। खर-पतवार को साफ कर मंदिर के मार्ग को सुगम बनाया, यत्र-तत्र उग रहें उपयोगी पौधों को सुरक्षित स्थान पर रोपा गया।
मंदिर के ऊपरी हिस्से सहित गर्भगृह से भारी मात्रा में मिट्टियों के ढेर को हटाया गया। तदुपरांत शिवम अग्रहरि ने देवविग्रह को स्नानादि कराकर गुड़हल व गेंदे के माला से सुसज्जित कर राग भोग समर्पित किया।
संस्थाध्यक्ष केवल कुशवाहा ने कहा कि लोक आस्था को स्वच्छता रूपी संस्कार में परिणित करते हुए काशी के ऐसे ही अतिप्राचीन मंदिरों के संरक्षण व देखरेख सुनिश्चित करना ही संस्था का प्रमुख उद्देश्य है।आयोजन में प्रमुख रूप से केवल कुशवाहा, रामप्रकाश जायसवाल, शिवम अग्रहरि, जय विश्वकर्मा, जयप्रकाश राय, आकाश शाह, बबलू, विनोद आदि उपस्थित रहें।