राजस्थान के गो वंश में जानलेवा बीमारी लम्पी स्किन वायरस का भयानक प्रकोप छाया हुआ है। झुंझुनू जिला भी इससे अछूता नहीं है। झुंझुनू जिले में लम्पी का पहला केस 29 जुलाई 2022 को सामने आया था। एक महीने में लम्पी वायरस पूरे जिले में फैल चुका है। सरकार ने वैक्सीन भी उपलब्ध कराई है लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारियों की मानें तो सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक झुंझुनू जिले में पशुओं का वैक्सीनेशन नहीं कराया जा सकता है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामेश्वर सिंह ने बताया कि हाल ही में एक सर्वे कराया गया है। जिसमें सामने आया कि झुंझुनू जिले में लम्पी से बीमार पशुओं की संख्या 2.75 फीसदी है और अब तक 0.95 फीसदी पशु रिकवर हो चुके हैं। जबकि लम्पी से मौत का आंकड़ा 0.15 फीसदी है। लेकिन हकीकत इसके उलट है। जिले में इस एक महीने में करीब दो हजार से अधिक पशुओं की लम्पी से मौत की खबरें आ रही हैं। लम्पी का पहला केस मिलने के बाद प्रशासन व पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर आ गया। बीमारी के लक्षणों के आधार पर संक्रमित पशुओं को दी जाने वाली दवाओं की उपलब्धता भी जिले के सभी 335 सेंटर्स पर करवा दी गई। गो वंश को लम्पी से बचाने के लिए तमाम तरह के उपाय तत्काल शुरू किए लेकिन संक्रमण पर काबू नहीं हो सका है।
सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक झुंझुनू जिले में लम्पी संक्रमित पशुओं का टीकाकरण किया जाना उचित नहीं है। इसके पीछे डॉ. रामेश्वर सिंह कारण बताते हैं कि जिस स्थान पर लम्पी संक्रमित पशु पाया जाता है उसके पांच किलोमीटर के दायरे में टीकाकरण नहीं किया जा सकता है। झुंझुनू जिले में हर गांव में संक्रमण फैल चुका है और एक संक्रमित पशु के तय दायरे में दूसरा संक्रमित पशु पाया गया है। इसलिए सरकारी स्तर पर किसी भी संक्रमित पशु में टीकाकरण नहीं किया गया है।
वैज्ञानिकों की मानें तो इनक्यूबेशन पीरियड में वैक्सीनेशन का कोई फायदा नहीं है। जिस गांव या इलाके में अभी यह बीमारी नहीं फैली है, वहां पशुओं में वैक्सीनेशन करवाया जा सकता है। लेकिन जहां यह बीमारी पहुंच गई है वहां वैक्सीनेशन का कोई फायदा नहीं है और विभागीय सर्वे के मुताबिक पूरा झुंझुनू जिला संक्रमित हो चुका है।
संक्रमण पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों की मानें तो लम्पी रोग का वायरस अपनी संख्या बढ़ाने में 2 से 4 सप्ताह तक का समय लगाता है जिसे इनक्यूबेशन पीरियड कहते हैं। गाइडलाइन की पालना में झुंझुनू जिले में सरकारी स्तर पर तो लम्पी संक्रमित पशुओं में टीकाकरण नहीं किया गया है। लेकिन पशुपालक अपने स्तर पर पशुओं का टीकाकरण करवा रहे हैं। विभागीय सर्वे में पता चला है कि जिले में 3783 पशुओं का टीकाकरण हो चुका है।