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खेसारी लाल यादव का एलान, ‘10 साल तक नहीं ज्वॉइन करूंगा कोई राजनीतिक पार्टी’

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खेसारी लाल यादव

भोजपुरी सिनेमा के दिग्गज सितारों मनोज तिवारी, रवि किशन और दिनेश लाल यादव निरहुआ के बाद ऐसी चर्चा रही हैं कि अब इसके सुपर सितारे खेसारी लाल यादव भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते है। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान खेसारी लाल यादव कई बार इस बात की ओर इशारा भी कर चुके है कि ‘मनोज भैया (मनोज तिवारी) उनके गार्जियन है। जैसा वह कहेंगे वैसा भी वह करेंगे।’ लेकिन इसी दौरान उनकी मुलाकात आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी होती रही। ऐसा माना जा रहा था कि खेसारी लाल यादव जल्द ही कोई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन कर सकते है। लेकिन, ‘अमर उजाला’ से एक खास मुलाकात में उन्होंने इन सारी अटकलों पर विराम लगा दिया है।
खेसारी लाल यादव

भोजपुरी सिनेमा में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव को भाजपा में आने का निमंत्रण मिला है। गुरुवार को खेसारी लाल यादव से ‘अमर उजाला’ ने इस बारे में लंबी बात की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आगे दस साल तक राजनीति में आने का अभी कोई इरादा नहीं है। अभी मेरा पूरा ध्यान अपने करियर पर ही रहेगा। बता दें कि खेसारी लाल यादव की फिल्म ‘डोली सजा के रखना’ अगले महीने रिलीज हो रही है। इस फिल्म में उनके साथ आम्रपाली दुबे नजर आएंगी।
खेसारी लाल यादव को राजनीति में आने की चर्चा काफी समय से होती रही है। आजमगढ़ की लोक सभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार और भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ के खिलाफ उनसे समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए संपर्क किए जाने की बातें खूब होती रही हैं। खेसारी लाल यादव ने इसमें खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और अपनी बात पर वह अंत तक कायम रहे कि वह दिनेश लाल यादव निरहुआ के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहते।
खेसारी लाल यादव

भोजपुरी सिनेमा के सितारों के बीच भले ही किसी बात को लेकर आपस में मतभेद हो, लेकिन अमूमन सार्वजनिक मंच पर वे एक दूसरे के विरोध में खड़े नहीं होते है। मनोज तिवारी जब दूसरी बार लोक सभा चुनाव लड़ रहे थे तो कांग्रेस ने उनके विरोध में पवन सिंह को चुनाव मैदान में उतरना चाहा था लेकिन तब पवन सिंह ने मनोज तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था और बाद में खुद ही भाजपा में शामिल हो गए।

khesari lal yadav

इसी तरह से खेसारी लाल यादव भी वार्ताओं के तमाम दौर के बाद भी निरहुआ के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाह रहे थे। 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान खेसारी लाल यादव और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की मुलाकात हुई थी। उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की टोह लेने की सुगबुगाहट सभी राजनीतिक दलों में तभी से तेज हो गई थी। चर्चा ये भी है कि खेसारी लाल यादव पर मुंबई के अगले विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर भारतीयों के प्रभाव वाली किसी सीट पर बीजेपी दांव लगा सकती है।

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