इसी के साथ तटवर्ती इलाकों में बाढ़ ने दस्तक दे दी है। जिला प्रशासन ने 99 बाढ़ चौकियां स्थापित करते हुए राहत और बचाव कार्य के लिए सतर्क रहने का निर्देश जारी किया है। कोटा बैराज से पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद गंगा-यमुना में उफान आ गया है। बृहस्पतिवार को फाफामऊ में गंगा सात सेंमी प्रतिघंटा और नैनी में यमुना चार सेंमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ती रहीं।

कहा जा रहा है कि जल स्तर इसी तरह बढ़ा तो कछारी इलाकों में घर बनाने वालों के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। रामघाट,काली घाट डूब गया है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक रात आठ बजे फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 81.56 मीटर दर्ज किया गया। इसी तरह छतनाग में गंगा 80.81 मीटर और नैनी में यमुना का जलस्तर 81.47 मीटर रिकार्ड किया गया।

गंगा और यमुना नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से कछार के निचले इलाकों में रहने वालों की चिंता बढ़ गई है। दोनों नदियों का पानी इन बस्तियों के कगार तक पहुंच गया है और जलस्तर में बढ़ोतरी नहीं थमी तो एक-दो दिनों में पानी घरों में घुस जाएगा। इस खतरे को देखते हुए लोगों ने तैयारी भी शुरू कर दी है।
बघाड़ा कछार में बसे बृजेश मौर्या के सामने बाढ़ का पानी पहुंच गया है। इसी रफ्तार से जल स्तर में बढ़ोतरी जारी रही तो शुक्रवार रात तक उनके सामने वाली सड़क डूब जाएगी। बृजेश की आटे की चक्की है। उनका कहना है कि पानी बढ़ने पर चक्की खोलकर तथा अन्य सामान ऊपरी मंजिल पर ले जाएंगे।
बघाड़ा के ही रोशन सिंह ने घर का सामान प्रथम तल पर ले जाने की तैयारी कर ली है। उनका कहना है कि पिछले वर्ष कई घरों का एक मंजिल पूरी तरह से डूब गया था। ऊंचवागढ़ी में मुख्य मार्ग से गंगा का पानी काफी दूर है लेकिन लोगों की नजर वहां के नालों पर हर समय बनी हुई है। रिंकू यादव का कहना है कि नालों के डूबते ही तेजी से पानी बस्तियों में फैल जाता है।
ऊंचवागढ़ी के ही आशीष का कहना है कि बड़े हनुमानजी के नहाने के बाद यहां बाढ़ की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए लोगों की इस पर भी नजर है कि हनुमानजी कब स्नान करते हैं। बाढ़ का यह खतरा सिर्फ बृजेश, रिंकू एवं रोशन पर नहीं मंडरा रहा, कछारी इलाके में फंसे हजारों परिवारों के सामने यह संकट है।

0 गंगा के जल स्तर में बढ़ोतरी के साथ संगम क्षेत्र में दुकानें भी बांध की तरफ बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में दुकानें उजाड़ने एवं सामान हटाने का सिलसिला वहां लगातार जारी है। हनुमान मंदिर से संगम टावर के बीच तो दर्जनों दुकानें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं।
किला घाट पर रात में जल स्तर में बढ़ोतरी के साथ एक नाव भी डूब गई। नाव पर रखा सामान हटाने की जद्दोजहद में जुटे नाविक अमन निषाद का कहना था कि उन्हें अनुमान नहीं था कि इतना जल्दी पानी आ जाएगा।
वहां कल्लू समेत कई अन्य लोगों की चूड़ी, माला आदि की दुकान थी। गंगा में पानी बढ़ने पर उन्होंने सड़क से सटे दुकानें लगा रखीं थीं लेकिन अब सड़क तक पानी पहुंच गया है। ऐसे में उन्हें दुकानें हटानी पड़ीं।

गंगा का जल स्तर पर बढ़ने से हनुमान मंदिर तथा आसपास के क्षेत्रों का पूरा नजारा ही बदल गया है। चूंकि मूल संगम स्थान पर तेज बहाव है। इसकी वजह से वहां कोई नहीं जा रहा। ऐसे में किला घाट से काली मार्ग तक हर जगह स्नान चालू है तो दुकानें भी सज गई हैं। ऐसे में पूरे क्षेत्र में संगम जैसा नजारा बन गया है।

बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। एलर्ट जारी करने के साथ सभी संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। इसी क्रम में फिलहाल 10 आश्रय स्थल भी सक्रिय कर दिए गए हैं। बस्तियों में पानी घुसने के साथ आश्रय स्थलों में लोगों को शरण दी जाएगी।
बघाड़ा में एनी बेसेंट, महबूब अली इंटर कॉलेज, वाईएमसीए, कैंट हाईस्कूल, स्वामी विवेकानंद स्कूल, डीएवी इंटर कॉलेज, एमएल कान्वेंट, जमुना क्रिश्चियन, डॉ.घोष मॉर्डन स्कूल, चेतना गर्ल्स कॉलेज को राहत शिविर बनाया गया है।
इनमें सफाई के साथ अन्य की व्यवस्था की जा रही है। एडीएम वित्त एवं राजस्व जगदम्बा सिंह ने बताया कि खाना के लिए सैनिक स्वीट्स से बात हो चुकी है। जरूरत पड़ने पर खाना मंगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि बाढ़ पीड़ितों की संख्या बढ़ने पर आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
