मध्यप्रदेश सरकार 220 सीनियर तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर बनाने जा रही है। इसकी फाइल भी दौड़ रही है। संभवत: 25 फरवरी के बाद लिस्ट आ सकती है। ये तहसीलदार पिछले 7 साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस क्राइटेरिया में आ रहे हैं। जिनकी विभागीय जांच चल रही है, वे डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाएंगे। इधर, कुल 173 नायब तहसीलदारों को भी तहसीलदार का प्रभार दिए जाने की प्रोसेस चल रही है।
बता दें कि मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ पिछले एक साल से पुलिस विभाग की तर्ज पर तहसीलदारों को प्रमोशन देने की मांग उठा रहा है। इसे लेकर CM-मंत्री से गुहार लगाई जा रही थी। इसके बाद सरकार स्तर पर प्रोसेस शुरू की गई, जो अब अंतिम दौर में है। बताया जा रहा है कि जीएडी (सामान्य प्रशासन विभाग) में फाइल दौड़ रही है।
ये क्राइटेरिया तय, विभागीय जांच वालों को मौका नहीं
- वर्ष 1999 से 2008 के बीच जो नायब तहसीलदार बने और फिर तहसीलदार के पद पर पदोन्नत हुए, लेकिन इसके बाद उन्हें प्रमोशन नहीं मिला।
- उन तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर नहीं बनाया जाएगा, जिन पर जांच चल रही हो। यानि, ऐसे तहसीलदारों को मौका नहीं मिलेगा।
PSC के जरिए भर्ती हुए, प्रमोशन का इंतजार कर रहे
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ की मानें तो वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। यदि नियम के अनुसार प्रमोशन होता तो दो बार पदोन्नति हो जाती। अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। वर्तमान में 220 तहसीलदार हैं, जो पदोन्नति का रास्ता देख रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिन पर विभागीय जांच लंबित है।
तहसीलदार की कुर्सी पर बैठेंगे नायब तहसीलदार
तहसीलदारों की कुर्सी खाली होने के बाद नायब तहसीलदारों को कार्यवाहक तहसीलदार बनाया जा रहा है। इसकी फाइल भी दौड़ रही है। इनकी संख्या 173 बताई जा रही है। संभवत: सीनियर तहसीलदारों की कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर बनाए जाने वाली लिस्ट के साथ ही नायब तहसीलदारों के कार्यवाहक तहसीलदार बनाने की लिस्ट भी आ सकती है।
आरआई को नायब तहसीलदार बनाने की प्रोसेस भी जारी
इधर, एक बार फिर RI (राजस्व निरीक्षक) को नायब तहसीलदार बनाने की प्रोसेस भी जारी है। पिछले साल अक्टूबर में प्रस्ताव भी बन चुका है। जिसमें क्राइटेरिया भी तय हो चुका है। बता दें कि प्रदेश में अभी तक की स्थिति में नायब तहसीलदार के कुल 1242 पद मंजूर हैं। इनमें करीब 504 पद रिक्त यानी खाली है। दूसरी ओर, सीनियर नायब तहसीलदारों को तहसीलदार का प्रभार दिया जा रहा है। ऐसे में पद और भी खाली होंगे। इसलिए राजस्व निरीक्षकों के जरिए कुर्सी भरी जाएगी।
नायब तहसीलदार बनने के लिए ये क्राइटेरिया तय
- ऐसे राजस्व निरीक्षक जिन्होंने पद पर 5 साल की सेवा पूरी कर ली हो।
- पांच वर्ष यानी वर्ष 2017 से 2021 तक के गोपनीय प्रतिवेदन होना चाहिए। समग्र मूल्यांकन का योग कम से कम 10 अंक हो।
- गोपनीय प्रतिवेदन में किसी में भी मूल्यांकन ‘औसत’ से कम अर्थात ‘घटिया’ श्रेणी का नहीं होना चाहिए।
- कोई विभागीय जांच, अनुशासनात्मक कार्रवाई, लोकायुक्त समेत अन्य कोई केस या फिर दंड का प्रभाव समाप्त नहीं हुआ है, तो संबंधित पात्र नहीं होगा।
पहले पांच बार दी जा चुकी है शक्ति
इससे पहले पांच बार राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार की शक्तियां दी जा चुकी हैं। सबसे पहले 12 मई 2016 को शक्तियां दी गई थी। इसके बाद 6 जून 2016, 1 जुलाई 2016, 16 मार्च 2017 और 2 जून 2017 को भी राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार बनाया गया था। मप्र कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के विरोध के बाद 10 फरवरी 2020 को प्रभारी नायब तहसीलदारों को फिर से उनके मूल पद पर भेज दिया गया था। अक्टूबर 2022 में फिर से प्रोसेस शुरू हुई और लिस्ट लगभग तैयार है। सरकार की हरी झंडी मिलते ही कार्यवाहक नायब तहसीलदार बनाया जाएगा।