पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के मामले में जिम्मेदार नोटिस देने तीन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर फिर सवाल उठाए हैं। पायलट ने गहलोत समर्थक विधायकों पर दबाव बनाने की पार्टी स्तर पर जांच करने का मुद्दा उठाया है। न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में पायलट ने गहलोत गुट के विधायकों के दबाव में इस्तीफों के पीछे की वजह की जांच करने की मांग की है।
पायलट ने कहा- विधानसभा स्पीकर ने हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और बाकी को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वे विधायकों ने अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। यह एक कारण था, जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए। पायलट ने कहा- ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे। अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था। यह एक ऐसा विषय है, जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है।
विधायक दल की बैठक सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी, वह बैठक नहीं होना सोनिया गांधी के निर्देशों का उल्लंघन
पायलट ने कहा- ‘पिछले साल जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की अवहेलना करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में बहुत ज्यादा देरी हो रही है। हमें अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा।
जिन नेताओं को नोटिस दिए गए थे उसमें कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस लीडरशिप ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में फैसला लेने में बहुत ज्यादा देरी हो रही है। विधायक दल की बैठक तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी और ऐसे में बैठक नहीं होना पार्टी के निर्देश की अवहेलना थी।’
नोटिस वाले नेताओं पर कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है?
उन्होंने कहा- ‘विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी। यह बैठक नहीं हो सकी। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई। जो लोग बैठक नहीं होने देने और विधायक दल की पैरेलल बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे, उन्हें अनुशासनहीनता के लिए नोटिस दिए गए थे। मुझे मीडिया से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मुझे लगता है कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि निर्णय लेने में इतनी ज्यादा देरी क्यों हो रही है?’
सरकार लानी है तो राजस्थान पर जल्द फैसला करना होगा
पायलट ने कहा- हम बहुत जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, बजट भी पेश हो चुका है। पार्टी नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बारे में जो भी फैसला करना है, वो होना चाहिए क्योंकि इस साल के आखिर में चुनाव है। अगर हर पांच साल पर सरकार बदलने की 25 साल से चली आर रही परंपरा बदलनी है और फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है तो जल्द फैसला करना होगा।
पीएम मोदी आक्रामक प्रचार कर रहे, हमें कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा
पायलट ने कहा- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में खुद आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा ताकि हम लड़ाई के लिए तैयार रहें।
गहलोत गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था, तीन नेताओं के खिलाफ एक्शन पैंडिंग
सीएम अशोक गहलोत गुट के कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने पिछले साल 25 सितंबर की शाम को सीएम हाउस र बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था। गहलोत गुट के विधायकों ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर पैरेलल विधायक दल की बैठक की। इस बैठक के बाद विधायकों ने सपीकर के बंगले पर जाकर इस्तीफे दे दिए थे। उस वक्त मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और तत्कालीन प्रभारी महासचिव अजय माकन पर्यवेक्षक बनकर आए थे। दोनों ने सोनिया गांधी को रिपोर्ट दी थी। विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके पैरेलल विधायक दल की बैठक बुलाने के मामले में मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को नोटिस जारी किए थे। उन नोटिस का जवाब भी भेज दिया है। तब से यह मामला पैंडिंग चल रहा है। गहलोत-पायलट के बीच नवंबर से तल्खियां उस वक्त से बढ़ी हुई है जब पायलट के लिए गहलोत ने गद्दार शब्द का इस्तेमाल किया।