ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के पद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पट्टाभिषेक को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने शुक्रवार को अमान्य ठहरा दिया। पट्टाभिषेक के 12 दिन बाद अखाड़ा परिषद ने इस नियुक्ति को परंपरा और शास्त्र दोनों के विपरीत करार दिया। अखाड़ा परिषद का कहना है कि संन्यासी अखाड़ों की मौजूदगी के बिना शंकराचार्य के पद पर नियुक्ति को मान्यता नहीं दी जा सकती।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी महाराज ने ज्योतिष्पीठाधीश्वर के पद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का विरोध तब किया, जब षोडशी के उपलक्ष्य में प्रयागराज के मनकामेश्वर मंदिर से लेकर परमहंसी आश्रम तक भंडारे में देशभर से संतों-अनुयायियों को आमंत्रित किया गया था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि जगद्गुरु के ब्रह्मलीन होने के एक दिन बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पद पर हुई नियुक्ति गलत है। शंकराचार्य की षोडशी होने से पहले सनातन धर्म के इस सर्वोच्च पद पर की गई नियुक्ति अनाधिकार उठाया गया कदम है।