वैसे तो कहावत सैंया के कोतवाल बनने पर निडर हो जाने की है लेकिन यहां मामला मां, बेटी का है। आहना कुमरा की चर्चा इन दिनों उनकी वेब सीरीज ‘अवरोध 2’ को लेकर हर तरफ हो रही है। उनकी मम्मी लखनऊ में हजरतगंज कोतवाली की इंचार्ज रह चुकी हैं। बचपन में आहना का वहां अक्सर आना जाना लगा रहता था। अब कोतवाली में तो चोर उच्चकों का तो आना जाना लगा ही रहता है। आहना कहती हैं, ‘उस समय मेरे बॉब कट बाल होते थे और जब मन करता था पुलिस स्टेशन आ जाती थी। कभी कभी तो चोर उचक्कों पर रौब भी जमा देती थी। इस तरह से मेरी परवरिश ही बहुत अलग तरह से हुई है।’
मुंबई आने के कुछ समय के बाद आहना के मम्मी का डीएसपी रैंक पर प्रमोशन हुआ तो वह बनारस चली गई और पापा सुशील कुमार मास्को में फार्मा कंपनी जॉब करने लगे। आहना कहती हैं, ‘स्कूल खत्म होते ही मैंने पृथ्वी थियेटर ज्वाइन कर लिया। इसके पीछे का भी किस्सा बड़ा दिलचस्प है। उन दिनों मैं बोरीवली में रहती थी, मेरी कुछ सहेलियों ने बोला चलो आज ट्रेन से चलते हैं। मैने पूछा जाना कहां है तो जवाब मिला, पृथ्वी थियेटर। तब तक मुझे पृथ्वी थियेटर के बारे में पता नहीं था। उनके साथ पृथ्वी थियेटर पहली बार आई और वहां मैने वर्क शॉप ज्वाइन कर लिया। उसके बाद संजना कपूर को असिस्ट करने लगी, उसके बाद मकरंद देशपांडे, रजत कपूर जैसे कई लोगों के साथ दस साल तक थियेटर किया। अब भी मकरंद देशपांडे के साथ एक नाटक ‘सर सर सरला’ पिछले दस साल से कर रही हूं।’
आहना कहती हैं, ‘मम्मी से कभी एक्टिंग के बारे में बोला नहीं लेकिन वह समझ गईं क्योंकि मेरे कदम घर पर रुकते ही नहीं थे। कभी थियेटर कर लिया तो कभी डांस कर लिया, कॉलेज में भी इन्ही सब गतिविधियों में व्यस्त रहती थी। उन्होंने कहा कि अगर तुम्हे एक्टर बनना तो इसकी पढ़ाई करनी पड़ेगी। जिस तरह से डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई करनी पढ़ती है या और कुछ करने के लिए। मम्मी को इतना पता था कि फिल्म लाइन की पढ़ाई पूना में में होती है, वह मुझे पूना भेजना चाहती थी, मैने कहा कि मम्मी पूना कौन जाएगा? उसी समय व्हिसलिंग वुड्स मुंबई में खुल गया था तो मैंने वहां एडमिशन ले लिया। वहां नसीर साहब और रत्ना मैडम से मुलाकात हो गई और दो साल के बाद उन्होंने मुझे अपने थियेटर ग्रुप में शामिल कर लिया और उनके साथ दस साल तक मैंने थियेटर किया।’
जब मुंबई में सुभाष घई ने व्हिसलिंग वुड्स की स्थापना की तो उस समय 90 लोग ने उस इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया, उन्हीं में से एक आहना कुमरा भी थीं। उन दिनों आहना के टीचर नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह थे। वहां से दो साल का कोर्स करने के बाद आहना नसीरुद्दीन शाह के थियेटर ग्रुप से जुड़ गईं। आहना कहती हैं, ‘नसीर सर का काम को लेकर पागलपन देखा है, उनका पागलपन मुझे बहुत पसंद है। उनके साथ तो मैंने बहुत सारे नाटक किए है, उनके साथ एक फिल्म ‘द ब्लूबेरी हंट’ की थी जो काफी बाद में रिलीज हुई थी। अब मेरा मन है कि मैं नसीर साहब को डायरेक्ट करूं।’
आहना को सबसे पहले अमिताभ बच्चन के साथ सोनी टीवी के शो ‘युद्ध’ में काम करने का मौका मिला। आहना कहती हैं, ‘मैं अपने आपको काफी भाग्यशाली समझ रही थी कि शुरुआत में ही मुझे बच्चन साहब के साथ पहली बार काम करने का मौका मिला, तकरीबन उनके साथ एक साल तीन महीने तक काम किया। उस दौरान बच्चन साहब के साथ ऐसा संबंध बन गया कि आज भी मेरे जन्मदिन पर एक मई को सबसे पहले अमिताभ बच्चन का ही बधाई संदेश आता है। बच्चन साहब कितना काम करते हैं, ये उनके साथ काम करके जाना, समय के बहुत ही पाबंद हैं।
आहना कहती हैं, ‘युद्ध के बाद ‘एजेंट राघव’ में शरद केलेकर के साथ काम किया। उसके बाद ‘प्रो कबड्डी’ की एंकरिंग करने के बाद सबसे पहले ओटीटी पर ‘चुक्यागिरी ‘ में काम करने का मौका मिला। फिर ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ रिलीज हुई तो और काम मिलने लगा। मैं इस मामले में काफी खुशकिस्मत हूं कि मुझे काम ढूंढना नहीं पड़ा, काम से ही काम मिलता गया।’ इन दिनों आहना ओटीटी पर भी खूब काम कर रही हैं। सोनी लिव पर उनका नया शो ‘अवरोध 2’ चर्चा में है। वह कहती हैं, ‘शोहरत बढ़ी है तो अब मैं काम चुन सकती हूं। पहले हर काम को हां बोलना पड़ता था। अब धीरे धीरे लोगों को ना बोलना सीख रही हूं।’