भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने मई में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सोना खरीदार रहा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, बीते माह भारत ने करीब 722 करोड़ रुपए का सोना खरीदा। सिर्फ स्विटजरलैंड और चीन ने भारत से ज्यादा गोल्ड खरीदा।
बीते 5 वित्त वर्षों में भारत ने अपने गोल्ड रिजर्व में करीब 204 टन सोने की बढ़ोतरी की। मार्च 2019 में देश का गोल्ड रिजर्व 618.2 टन था, जो 31 मार्च 2024 को 33% बढ़कर 822.1 टन हो गया। हालांकि, इस दौरान सोने की कीमतों में करीब 70% की बढ़ोतरी हुई है।
सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से बीते माह ग्लोबल गोल्ड मार्केट में औसत दैनिक ट्रेडिंग वॉल्यूम 18 लाख करोड़ रुपए रहा। यह अप्रैल 2024 की तुलना में 13% कम, लेकिन 2023 के औसत 13.6 लाख करोड़ रुपए रोजाना से 32.51% ज्यादा है।
तीसरे महीने बढ़ी सोने की कीमत, पर शुक्रवार को गिरावट
मई में लगातार तीसरे महीने सोने की कीमतें बढ़ीं। पर शुक्रवार को देश में जेवराती सोना (22 कैरेट) 773 रुपए प्रति 10 ग्राम घटकर 65,872 रुपए पर आ गया। 24 कैरेट सोना का भाव भी गुरुवार के मुकाबले 844 रुपए घटकर 71,913 रुपए प्रति 10 ग्राम रह गया।
गोल्ड ETF में 12 महीने बाद शुरू हुआ शुद्ध निवेश
- ग्लोबल गोल्ड ETF में मई में निवेश में बढ़ोतरी हुई। इसके साथ ही बीते 12 महीने से जारी गिरावट का सिलसिला थम गया।
- यूरोप, एशिया की गोल्ड ETF निवेश में बड़ी भूमिका रही, जबकि अमेरिका और अन्य क्षेत्रों में मामूली निकासी की गई।
- आमद और सोने की ऊंची कीमत से प्रेरित होकर मई में कुल एयूएम मासिक आधार पर 2% बढ़कर 234 अरब डॉलर (करीब 19.5 लाख करोड़ रुपए) के स्तर पर पहुंच गया।
सोना आर्थिक स्थिरता रखता है, इसलिए भंडार किया जाता है
यदि किसी देश की करेंसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होती है, तो सोने का भंडार उस देश की क्रय शक्ति और उसकी आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है। 1991 में जब भारत की इकोनॉमी डूब रही थी और उसके पास सामान इंपोर्ट करने के लिए डॉलर नहीं थे तो उसने सोने को गिरवी रख पैसे जुटाए थे और इस फाइनेंशियल क्राइसिस से बाहर आया था।