भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के प्रोफेसर विनय शर्मा और प्रोफेसर रजत अग्रवाल ने कम लागत वाली ऊर्जा उत्पादन के लिए वन्य जैव अवशेषों के उपयोग पर एक परियोजना की कल्पना की।
संयुक्त राष्ट्र एसडीजी के साथ संरेखण में वन जैव अवशेष ऊर्जा उत्पादन के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक मूल्य निर्माण शीर्षक वाली परियोजना को भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत हिमालयी अध्ययन पर राष्ट्रीय मिशन द्वारा वित्तीय रूप से समर्थित एक पायलट परियोजना के रूप में प्रदान किया गया। इसके साथ ही वन्य जैव अपशिष्ट अवशेषों से कम लागत वाली ऊर्जा उत्पादन के पूरक स्रोत के विकास के साथ-साथ उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्वदेशी हरित प्रौद्योगिकियों के स्थायी प्रबंधन प्रथाओं की स्थापना पर ध्यान केंद्रित किया गया।