Search
Close this search box.

ये हैं भाजपा की शिकस्त के ‘विलेन’… कई सीटों के नतीजे चिंता का सबब; नहीं मिला इस समाज का वोट!

Share:

यूपी में लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली कम सीटों पर रार जारी है। प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री ने लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा की। टास्क फोर्स भाजपा नेतृत्व को 20 तक हर सीट का रिपोर्ट कार्ड सौंपेगी।

लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिलने की वजहों की भाजपा ने पड़ताल शुरू कर दी है। पार्टी ने अपने 80 पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ नेताओं को प्रेक्षक बनाकर प्रत्येक लोकसभा सीट पर भेजा है।

इसके लिए 40 टीमें गठित की गई हैं, जो दो-दो सीटों की जमीनी हकीकत का पता लगाने के बाद 20 जून तक अपनी रिपोर्ट पार्टी प्रदेश नेतृत्व को सौंपेंगी। बाद में विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भेजी जाएगी।

प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी व प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने शुक्रवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में टास्क फोर्स के सदस्यों की बैठक में दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने जिन सीटों पर भाजपा को शिकस्त मिली है, उसकी वजहों को तलाशने के साथ ही जीती हुई सीटों के समीकरणों का भी गहनता से पता लगाते हुए रिपोर्ट देने को कहा।

साथ ही भाजपा को किन सीटों पर भितरघात से नुकसान हुआ और किन मुद्दों ने सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई, उसका भी सूक्ष्मता से पता लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि जमीनी फीडबैक पता लगाने के लिए सीधे कार्यकर्ताओं से बात की जाए ताकि सही तस्वीर सामने आ सके। यह भी खंगाला जाए कि भाजपा के पक्ष में मतदान कम क्यों हुआ। प्रेक्षक हारे व जीते हुए प्रत्याशियों से भी बात करें।

विधायकों पर फोड़ा ठीकरा
शुक्रवार को कानपुर-बुंदेलखंड के प्रत्याशियों के साथ चुनाव नतीजों पर चर्चा के दौरान अधिकतर ने विधायकों पर हार का ठीकरा फोड़ा। बांदा के प्रत्याशी आरके सिंह पटेल ने तो सीधे विधायकों को ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भितरघात की वजह से उन्हें कुर्मी वोट तक नहीं मिला।

कई प्रत्याशियों ने कहा कि चुनाव के दौरान उनके क्षेत्र के विधायक निष्क्रिय रहे और अपनी ही पार्टी को हराने की मुहिम चलाते रहे। तमाम कोशिशों के बाद भी ओबीसी वोट बैंक के बिखराव को रोका नहीं जा सका। बता दें कि पार्टी ने बृहस्पतिवार को अवध क्षेत्र की बैठक भी की थी।

कई सीटों के नतीजे चिंता का सबब
पार्टी नेतृत्व के लिए कई सीटों के नतीजे चिंता का सबब बन चुके हैं। वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी और लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को मिले वोटों को गंभीरता से लेते हुए पार्टी ने गहनता से इसकी वजहों को तलाशना शुरू कर दिया है। वहीं अमेठी में स्मृति ईरानी, सुल्तानपुर में मेनका गांधी, चंदौली में डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय आदि नेताओं को मिली शिकस्त की वजहों का पता लगाने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है।

1. भूपेंद्र सिंह चौधरी- बरेली, अमेठी, 2. धर्मपाल सिंह- लखऊ, रायबरेली, 3. सुभाष यदुवंश व गोपाल अंजान भुर्जी- सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ 4. अमरपाल माैर्या व हर्षवर्धन आर्य- कानपुर, कन्नौज, 5. गोविंद नारायण शुक्ला व आशीष सिंह आशू- सहानपुर, कैराना, 6. संजय राय व संतविलास शिवहरे- फूलपुर, कौशाम्बी, सलेमपुर, 7. मानवेंद्र सिंह व रामचंद्र प्रधान- रामपुर, संभल, 8. दिनेश शर्मा व शंकर लोधी- गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, 9. नवीन जैन व रणजीत सिंह कुशवाहा- भदोही, मिर्जापुर, 10. ब्रज बहादुर- मुरादाबाद, नगीना, 11. सुरेश राणा – अकबरपुर, जालौन, 12. शिवभूषण सिंह- चंदौली, गाजीपुर, 13. समीर सिंह – आगरा, फतेहपुर, 14. कौशलेंद्र पटेल- लालगंज, बासगांव 15. अनिल यादव -संतकबीरनगर, बस्ती, 16. राजेश चौधरी- डुमरियागंज, गोंडा, 17. विजय बहादुर पाठक- इलाहाबाद, राबर्ट्सगंज।

भाजपा लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश का सम्मान करती है। चुनाव परिणाम हमारी अपेक्षा के अनुकूल नहीं रहे। इस पर गहनता से चर्चा करने के बाद प्रेक्षकों को हार की वजहों को तलाशने के लिए भेजा जा रहा है। इसकी रिपोर्ट 20 जून तक मांगी गई है

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news