रूस से अत्याधुनिक तकनीक हासिल कर खनिजों पर भारत की निर्भरता घटेगी
केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय ने महत्त्वपूर्ण खनिजों की प्रसंस्करण तकनीक हासिल करने के लिए रूस के साथ द्विपक्षीय बैठक शुरू कर दी है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है कि यह पहल प्रमुख खनिजों को निकालने और उनका प्रसंस्करण करने के लिए जरूरी अत्याधुनिक तकनीक हासिल करने के लिहाज से अहम है क्योंकि यह विभिन्न उच्च स्तर की प्रौद्योगिकी, वाहन और रक्षा क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।
यह सहयोग खनन एवं धातु क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने और खनिज की खोज को बढ़ावा देने में मदद की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। एक अधिकारी ने बताया, ‘पहले दौर की बातचीत इस महीने की शुरुआत में हुई थी। हम रूस की तकनीक और भारत में खनिजों की खोज और उसके खनन में उनके सहयोग की मांग कर रहे हैं।’ इस करार के ब्योरे की जानकारी लेने के लिए खनन मंत्रालय को आधिकारिक सवाल भेजे गए लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला था।
यह सहयोग ऐसे वक्त में किया जा रहा है जब भारत ने खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के अपने प्रयासों को तेज किया है, खासतौर पर महत्त्वपूर्ण खनिजों के संदर्भ में। अधिकारियों का कहना है कि खनिज भंडार की खोज, खनन और उसके प्रसंस्करण के लिए विदेशी पूंजी अहम होगी और साथ ही भारत को रूसी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अत्याधुनिक अन्वेषण तकनीकों की भी आवश्यकता होगी ताकि नए खनिज भंडारों की खोज की जा सके।
ऐसा माना जाता है कि यह सहयोग भारत के भीतर महत्वपूर्ण खनिज भंडारों की खोज के लिए आवश्यक हो सकता है और इससे देश के संसाधन आधार में वृद्धि होगी और साथ ही प्रमुख खनिजों के आयात पर निर्भरता भी कम होगी। अधिकारियों ने बताया कि रूस कई प्रमुख खनन कंपनियों का केंद्र है।
इनमें, नोरिल्स्क निकेल दुनिया में निकेल और पैलेडियम के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक माना जाता है जबकि अलरोसा का दबदबा दुनिया में सबसे बड़ी हीरा खनन कंपनी के तौर पर है। इन्वेस्ट इंडिया के मुताबिक अलरोसा ने हाल ही में मुंबई में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला है। पॉलीस गोल्ड रूस में शीर्ष सोना उत्पादक है और वैश्विक स्तर पर यह शीर्ष पायदान पर है।
अन्य प्रमुख कंपनियों में एक प्रमुख इस्पात और खनन कंपनी सेवरस्टल, रूस की सबसे बड़ा कोयला आपूर्तिकर्ता एसयूईके है और यह दुनिया भर में सबसे बड़े कोयला उत्पादकों में से एक है। पिछले साल एसयूईके ने बताया था कि भारत में कंपनी का कार्यालय खोलने के लिए बातचीत चल रही है।
मेचल और एवराज कोयला और लौह अयस्क खनन क्षेत्र की महत्वपूर्ण कंपनियां हैं। एवराज भी एक प्रमुख इस्पात निर्माता है। यूराल माइनिंग ऐंड मेटलर्जिकल कंपनी (यूएमएमसी) तांबा और जस्ता की एक प्रमुख उत्पादक है वहीं रुसल दुनिया के सबसे बड़े एल्युमिनियम उत्पादकों में से एक है।
रूस के साथ खनन साझेदारी का भारत की अपनी विदेश नीति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा ताकि ऊर्जा और खनिजों के नए स्रोतों को हासिल किया जा सके। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि खनन प्रौद्योगिकियों के बदले में रूस साइबेरिया के विशाल, संसाधन संपन्न सुदूर पूर्वी क्षेत्र में भारतीय निवेश के लिए इच्छुक है।
इसको लेकर वार्ता में तब तेजी आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में इस्टर्न इकॉनमिक फोरम के लिए व्लादिवोस्तोक गए थे। उस समय, क्षेत्र की सरकार ने कहा था कि इस क्षेत्र में भारत के साथ व्यापार कारोबार में 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है, जो 4.2 करोड़ डॉलर से अधिक की वृद्धि है।