नरेंद्र मोदी 9 जून को रिकॉर्ड तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में चीन और पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशियाई देशों के लगभग सभी राष्ट्राध्यक्ष शामिल होने आ रहे हैं। मोदी के लगातार तीसरी बार पीएम बनने से पाकिस्तान और चीन को भारत के और मजबूत होने का खतरा सताने लगा है।
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना है। पाकिस्तान और चीन ऐसे देश होंगे, जिसके नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगे। समारोह में सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के अन्य सभी नेता शामिल होंगे। समारोह में नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान, सेशेल्स और मॉरीशस के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना है। संयोग से, भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के समर्थक माने जाने वाले शहबाज शरीफ के बड़े भाई और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 2014 में मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर हुए शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।
चीन और पाकिस्तान अपने रिश्ते मजबूत करने में जुटे
तीसरी बार मोदी की वापसी से पाकिस्तान और चीन में खलबली मच गई है। लिहाजा दोनों देश अपने आपसी रिश्ते को और अधिक मजबूत करने में अभी से जुट गए हैं। शी ने शरीफ के साथ अपनी बैठक के दौरान चीन-पाकिस्तान के बीच मजबूत संबंधों और दोनों देशों के बीच सदाबहार सामरिक साझेदारी के विकास की व्यापक संभावनाओं पर चर्चा की। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह शरीफ की पहली चीन यात्रा है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया, “चीन एक-दूसरे का दृढ़ता से समर्थन करने, सहयोग को मजबूत करने, रणनीतिक समन्वय को प्रगाढ़ बनाने, क्षेत्रीय शांति, स्थिरता में अधिक योगदान देने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करने के लिए तैयार है।”
चीन-पाकिस्तान के बीच हुए 23 समझौते
सरकारी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (एपीपी) के अनुसार इससे पहले, शरीफ ने चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात की, जिसके बाद दोनों देशों ने 23 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। हालांकि, समझौतों में सीपीईसी के दूसरे चरण और कराची को पेशावर से जोड़ने वाली आठ अरब अमेरिकी डॉलर की हाई-स्पीड रेलवे परियोजना नहीं थी। शरीफ ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “हमने बहुआयामी पाकिस्तान-चीन संबंधों के विभिन्न आयामों पर बातचीत की और अपनी दीर्घकालिक व दृढ़ मित्रता, सदाबहार रणनीतिक सहयोग, आर्थिक व व्यापार संबंधों और सीपीईसी को लेकर चर्चा हुई।