डॉ. संजय के मुताबिक तीन जून को शिमला में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बेटे को रुपये ट्रांसफर करने चाहे तो पता चला कि खाते में पैसे ही नहीं है। एक जून की रात 9.00 से 9.30 बजे के बीच उनके खाते से 16.04 लाख रुपये किसी ने निकाल लिए। जालसाजों ने उनकी 10 लाख रुपये की एफडी तक तुड़वा दी।
लखनऊ में साइबर ठगी का अनोखा मामला सामने आया है। शातिराें ने पहले अलीगंज के चांदगंज निवासी डॉ. संजय कुमार के फर्जी पहचान पत्र से आधार बनाया, फिर मोबाइल खोने की ई-एफआईआर से डुप्लीकेट सिम हासिल कर एक जून को उनके खाते से 16.04 लाख रुपये साफ कर दिए। पीड़ित ने मंगलवार को साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कराया। जालसालों ने इससे पहले 30 मई को वाराणसी से उन्हें चपत लगाने की कोशिश की थी, लेकिन बीएसएनएल अधिकारी की सतर्कता से फेल हो गए थे। कैंट पुलिस ने दो को दबोचा था, हालांकि, इसके दो दिन बाद लखनऊ में उन्हें चपत लगा दी।
निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉ. संजय कुमार के मुताबिक उनका बैंक खाता हजरतगंज स्थित एचडीएफसी में है। इससे ही बेटों दिव्यांश कुमार व सूर्यांश कुमार का भी खाता लिंक है। डॉ. संजय के मुताबिक तीन जून को शिमला में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बेटे को रुपये ट्रांसफर करने चाहे तो पता चला कि खाते में पैसे ही नहीं है। एक जून की रात 9.00 से 9.30 बजे के बीच उनके खाते से 16.04 लाख रुपये किसी ने निकाल लिए। जालसाजों ने उनकी 10 लाख रुपये की एफडी तक तुड़वा दी।
ऐसे पार की खाते से लाखों की रकम
डॉ. संजय के मुताबिक बैंक खाते से उनका बीएसएनएल का 9452176263 नंबर लिंक है। जालसाजों ने उनकी फोटो लगाकर फर्जी आधार कार्ड तैयार किया। इसके बाद ई-एफआईआर दर्ज कराई कि उनका मोबाइल खो गया है, जिसमें बीएसएनएल का 9455176263 नंबर का सिम है। फिर ई-एफआईआर की प्रति व आधार कार्ड की फोटोकॉपी लेकर महानगर स्थित बीएसएनएल कार्यालय पहुंचकर डुप्लीकेट सिम के लिए आवेदन कर दिया। उस पर ई-एफआईआर वाले नंबर की जगह डॉ. संजय का नंबर 9452176263 लिखा था। महिला कर्मचारी ने बिना आधार कार्ड व ई-एफआईआर के मिलान किए डुप्लीकेट सिम दे दिया, जो एक जून को एक्टिवेट हो गया। इसके बाद जालसाजों ने खाते से रकम साफ कर दी।
मुंबई, बंगलुरू के खाते में ट्रांसफर हुई रकम
डॉ. संजय ने एचडीएफसी बैंक से शिकायत की तो अधिकारियों ने कहा- हम कुछ नहीं कर सकते हैं। बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि उड़ाई गई रकम एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक के खाते में ट्रांसफर हुई है। इनमें से एक खाता मुंबई तो दूसरा बंगलुरू का था। डॉ. संजय ने आरोप लगाया कि एचडीएफसी बैंक व बीएसएनएल कर्मचारियों की मिलीभगत से धोखाधड़ी हुई है। अगर बीएसएनएल के कर्मचारी ई-एफआईआर और आधार कार्ड व आवेदन पत्र का सही से मिलान करते तो जालसाज कामयाब नहीं हो पाते। वहीं, बैंक के अधिकारी व कर्मचारियों ने एफडी तोड़ने वक्त उनसे कंफर्मेंशन तक नहीं लिया। वहीं, उन्हें उन खातों की जानकारी तक नहीं दी गई, जिनमें रकम ट्रांसफर हुई है।
वाराणसी में पकड़े गए थे दो जालसाज
डॉ. संजय कुमार से 30 मई को वाराणसी से भी चपत लगाने की कोशिश हुई थी। वाराणसी पुलिस के मुताबिक बीएसएनएल कार्यालय पहुंचे दीघा के रमेश कुमार ने अपना परिचय लखनऊ के डॉ. संजय कुमार के रूप में दिया था। उसके पास मोबाइल खोने व सिम गायब होने की ई-एफआईआर थी। इस पर अवर दूर संचार अधिकारी अमित त्रिपाठी ने डॉ. संजय कुमार के नंबर पर कॉल कर दिया था। उनसे बातचीत के बाद फर्जीवाड़ा सामने आने पर अमित ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची कैंट पुलिस ने रमेश के साथ पटना के समीर आर्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। हालांकि, इसके दो दिन बाद गिरोह के दूसरे शातिरों ने उन्हें लखनऊ में चपत लगा दी।