आरबीआई ने जनवरी में हाजिर बाजार में 8.5 अरब डॉलर की बिक्री की थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नौ महीनों के दौरान पहली बार फरवरी में कोई डॉलर नहीं बेचा था। दरअसल, यूएस फेडरल रिजर्व की दर में कटौती की अटकलों के कारण रुपया दबाव में आ गया। इससे पहले आरबीआई ने मई 2023 के महीने में एक भी डॉलर नहीं बेचा था। आरबीआई ने जनवरी में हाजिर बाजार में 8.5 अरब डॉलर की बिक्री की थी।
केंद्रीय बैंक ने फरवरी के महीने तक 8.5 अरब डॉलर की खरीदारी की थी ताकि विदेशी मु्द्रा भंडार बनाकर रुपये की अवमूल्यन से रक्षा कर सके। बाजार के साझेदारों के अनुसार अमेरिका के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े उम्मीद से ज्यादा आने के कारण रुपये के अवमूल्यन की आशंका जताई जा रही थी।
बीते सात सप्ताहों के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार नए स्तर पर पहुंच गया था। भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 5 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार नए उच्च स्तर 648.56 अरब डॉलर के नए स्तर पर पहुंच गया था।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘रुपये में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई हाजिर और वायदा कारोबार के जरिये विदेशी विनिमय मार्केट में हस्तक्षेप कर रहा था।’ उन्होंने बताया, ‘आंकड़े समर्थक नहीं होने के कारण डॉलर मजबूत हो रहा था और ब्याज दरों में कटौती को जून तक ले जाया गया।’
फरवरी में रुपये में 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई। अमेरिका के जनवरी के महंगाई के आंकड़े जारी होने से पहले मार्च में ब्याज दरों में पहली कटौती होने की उम्मीद थी लेकिन इसे बाद में इसे जून तक बढ़ा दिया गया। हालिया समय में बड़े स्तर पर उम्मीद से परे प्रतिकूल आंकड़े जारी हुए थे।
मार्केट को उम्मीद है कि यूएस फेडरल रिजर्व हालिया कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही से ब्याज दरों में कटौती शुरू करेगा। हालांकि मार्केट के तबके का अनुमान है कि दिसंबर में केवल एक प्रतिशत कटौती होने की उम्मीद है।
एक अन्य निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने बताया, ‘यह हस्तक्षेप विदेशी मुद्रा भंडार की बजाये रुपये का दायरा तय करने के लिए किया गया था।’ उन्होंने बताया, ‘रुपया केवल अप्रैल में गिरा और यह फरवरी व मार्च में सीमित दायरे में था।’
केंद्रीय बैंक रुपये के वायदा बाजार में शुद्ध खरीदार रहा था। फरवरी के अंत तक शुद्ध वायदा खरीदारी 9.6 अरब डॉलर थी जबकि यह फरवरी में 9.9 अरब डॉलर थी।