जहाँ हर तरफ एनिमल मूवी का हाइप बना हुआ है उस हाइप मे 12th फेल जैसी मास्टर पीस मूवी दब कर रह गई क्योंकि मूवी मे कोई गंदे सीन नहीं थे दो चार किसिंग सीन नहीं थे ग्लैमरस नहीं था लेकिन जो 12th फेल मूवी मे था शायद वो एनिमल मे नहीं था।
मनोज शर्मा की वास्तविक जीवनी पर आधारित इस फिल्म को आज के युवा वर्ग को तो 4-5 बार तो देखना ही चाहिए की कैसे 12th की परीक्षा मे चिटिंग ना होने से एक लड़का जो 12th मे फेल होता है और फिर कैसे मध्यप्रदेश के चंबल से एक लड़का डीएसपी बनने का सपना लिए निकलता है जिसे बस इतना मालूम होता है कि उसे डीएसपी बनने के लिए PCS की तैयारी करनी पड़ती है और फिर उसे जब पता चलता है कि डीएसपी से भी बड़ा कोई पद होता है जिसे पाने के लिए आईएएस की परीक्षा पास करनी होती है तो वह खाली हाथ अपने अड़ियल सोच के साथ निकल पड़ता मुखर्जी नगर की गलियों मे जहाँ वो अपने संघर्षों की पटकथा लिखता है ।
लाईब्रेरी मे एक छोटी सी नौकरी और फिर उसके बाद चक्की की मशीन मे काम करते हुए अपने आखिरी और चौथे प्रयास मे हिन्दी माध्यम से आईपीएस बनता है जिसके संघर्षों मे उसकी प्रेमिका श्रद्धा का साथ मूवी को अलग लेवल पर ले जाता है मूवी के एक सीन मे जब श्रद्धा कहती है “तुम कहते थे न मनोज की अगर मैं आई लव यू बोल दूं तो तुम मेरे लिए दुनियाँ पलट दोगे तो मनोज जाओ अब पलट दो दुनियाँ” या फिर इंटरव्यू से पहले का वो सीन जब श्रद्धा के पत्र को मनोज पढ़ता है जिसमें लिखा होता “मनोज तुम चाहे आईपीएस ऑफिसर बनो या चक्की मे काम करो मैं सारी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ विल यू मैरी मी मनोज” श्रद्धा का किरदार देखने के बाद लगता है कि ऐसी पसंदीदा स्त्री हर पुरूष के जीवन मे होनी चाहिए जिसके लिए फिर कोई मनोज किसी श्रद्धा के लिए पूरी दुनियाँ पलट दे।
खैर फिर रिज़ल्ट के आने से पहले की वो म्यूजिक बैकग्राउंड के साथ चल रहीं अटल बिहारी वाजपेयी जी की पंक्तियाँ “टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी अंतर को चीर ब्यथा पलकों पर ठिठकी आँसू ना बहाऊंगा सिर्फ मुस्कुराऊंगा कह देना भाग्य से मैं कल लौट आऊंगा”।