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राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने विधेयक पर किए हस्ताक्षर, अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा

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नारी शक्ति वंदन अधिनियम के जरिये लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। हालांकि, महिलाओं को इसका लाभ जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया के बाद ही मिलेगा।

Rajya Sabha Chairman Dhankhar signs womens reservation bill to be placed before president for her assent

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को संसद के विशेष सत्र में पास हुए महिला आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर किए। अब इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति के लिए भेजा जाएगा। इसी महीने की शुरुआत में संसद के विशेष सत्र के दौरान संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था। इसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से जाना जाएगा।

इस विधेयक के जरिये लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। हालांकि, महिलाओं को इसका लाभ जनगणना और परिसीमन (लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण) की प्रक्रिया के बाद ही मिलेगा। उपराष्ट्रपति सचिवालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, राज्यसभा के सभापति ने संसद के सदनों द्वारा पारित संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जिसे अब संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत विधेयक पर सहमति के लिए राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

उपराष्ट्रपति कार्यालय ने पोस्ट के साथ दो तस्वीरें भी साझा की हैं। एक तस्वीर में उपराष्ट्रपति धनखड़ महिला आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर में कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल उपराष्ट्रपति धनखड़ से विधेयक की हस्ताक्षरित प्रति लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने के बाद लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह आरक्षण 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषद दायरे में नहीं आएंगी।

महिला आरक्षण से संबंधित 128वां संविधान संशोधन विधेयक 21 सितंबर को राज्यसभा में पारित किया गया था। बिल के पक्ष में 214 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला था। इससे पहले 20 सितंबर को विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी। लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत के साथ पास किया था। इसके पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे।

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