गृहयुद्ध में 8 लाख नागरिकों की हत्या के बाद 2008 में रवांडा ने दुनिया की पहली महिला प्रभुत्व वाली संसद बनाई। अनुमान हैं कि गृहयुद्ध में 5 लाख महिलाओं से दुष्कर्म हुए, लाखों की हत्या की गई।
महिलाओं से राजनीतिक नेतृत्व तलाशने और राजनीति में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कई देशों ने बीते कुछ दशकों में जेंडर कोटा शुरू किया है, कड़े नियम बनाए हैं, सुधार भी लागू किए हैं। आज सकारात्मक परिणाम उन्हें मिलने लगे हैं। अमर उजाला ने 6 ऐसे देशों में लाए गए सुधारों पर नजर डाली, जहां महिला सांसदों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। इनका विश्लेषण…
रवांडा : गृहयुद्ध से उबरा, दुनिया में सबसे ज्यादा महिला प्रतिनिधित्व
कुल सांसद-80
महिला-49
गृहयुद्ध में 8 लाख नागरिकों की हत्या के बाद 2008 में रवांडा ने दुनिया की पहली महिला प्रभुत्व वाली संसद बनाई। अनुमान हैं कि गृहयुद्ध में 5 लाख महिलाओं से दुष्कर्म हुए, लाखों की हत्या की गई। 1.35 करोड़ आबादी वाले इस देश ने अपनी महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को दूर करने पर ज्यादा जोर दिया। महिलाओं के लिए संसद में 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित की थीं।
क्यूबा : धीरे-धीरे महिला नेतृत्व बढ़ाया
कुल सांसद-586
महिला-313
साल 1999 में क्यूबा की संसद में 27 प्रतिशत सांसद महिलाएं थीं, आज उनकी संख्या 53 प्रतिशत यानी दोगुनी हो चुकी है। यह सुधार धीरे-धीरे लाए गए।
निकारागुआ: 2000 में कोटा लागू
कुल सांसद-91
महिला-47
साल 2000 में नए चुनाव कानूनों के जरिए यहां जेंडर कोटा लागू किया गया। 1999 में जहां 9.7 प्रतिशत सांसद महिलाएं थीं, 2022 में 51.7% हो गईं।
न्यूजीलैंड: 10 साल में आए सुधार
कुल सांसद-119
महिला-60
2013 में लेबर पार्टी ने पार्टी के संसदीय कॉकस में 50 प्रतिशत महिलाओं को लाने का निर्णय लिया। आज 119 सांसदों में 60 महिलाएं हैं।
मैक्सिको: कड़े नियम लागू किए
कुल सांसद-500
महिला-250
यहां 90 के दशक में 30 और 2000 में 40 प्रतिशत जेंडर कोटा कानून बनाया गया। सरकार ने महिला उम्मीदवारों को लेकर कड़े नियम भी बनाए। उदाहरण के लिए राजनीतिक दलों को पाबंद किया गया कि जहां वे हार सकते हैं, उन जिलों में महिला प्रत्याशी न उतारें। परिणाम, 3 दशक पहले 300 में से महज 21 यानी 7 प्रतिशत महिला सांसदों वाले मैक्सिको में आज 50 प्रतिशत से अधिक महिला सांसद हैं।