रूस की तरफ से उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन की तरफ से उपराष्ट्रपति हान झंग, ब्रिटेन से उप-प्रधानमंत्री ओलिवर डाउडेन शिरकत कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में से अधिकतर नेता अनुपस्थित रहने वाले हैं। सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल हो रहे हैं। इसे लेकर जब यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यहां कोई मेला नहीं चल रहा है! विभिन्न गंभीर वैश्विक मुद्दों पर सरकारों द्वारा लिए गए फैसले, किसी नेता विशेष की उपस्थिति से ज्यादा अहम हैं।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन में से सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में शिरकत कर रहे हैं। 78वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए रविवार को बाइडन न्यूयॉर्क पहुंच गए। वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों उच्च स्तरीय बैठक में भाग नहीं ले रहे हैं। रूस की तरफ से उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन की तरफ से उपराष्ट्रपति हान झंग, ब्रिटेन से उप-प्रधानमंत्री ओलिवर डाउडेन और फ्रांस से यूरोप और विदेश मामलों की मंत्री कैथरीन कोलोना संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दी ये प्रतिक्रिया
जब अधिकतर शीर्ष नेताओं की गैरमौजूदगी को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यहां कोई मेला नहीं चल रहा है। यह एक राजनीतिक निकाय है, जिसमें सरकारों का प्रतिनिधित्व किया जाता है। यह मायने नहीं रखता कि किसी देश का प्रतिनिधित्व किसके द्वारा किया जा रहा है। गुटेरेस ने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि जो देश यहां हैं, वह सतत विकास लक्ष्य की प्रतिबद्धताओं को मानने के लिए तैयार हो। गुटेरेस ने कहा कि दुर्भाग्य से चीजें सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही हैं और ये एक हकीकत है। हमें कई अहम चीजों पर प्रतिबद्धता की जरूरत है।
गुटेरेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझना होगा कि हमारे पास एक अन्यायपूर्ण, निष्क्रिय और पुरानी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली है, जिसे सुधारने की जरूरत है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र की शुरुआत 18 सितंबर से न्यूयॉर्क में हो गई। एक सप्ताह तक चलने वाला यह सत्र 26 सितंबर को खत्म होगा। इस अधिवेशन में अफगानिस्तान के मौजूदा हालात समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी।