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सऊदी क्राउन प्रिंस की पीएम मोदी से द्विपक्षीय वार्ता आज, मजबूत होगी रणनीतिक साझेदारी

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सऊदी अरब हथियारों और सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर है। हाल ही में उसकी दिलचस्पी चीन के प्रति बढ़ी थी। सऊदी इस मामले में चीन और अमेरिका से अपनी निर्भरता कम करना चाहता है।

जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के बाद अब सबकी निगाहें सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता पर है। इस वार्ता में दोनों देश व्यापार के साथ ही अब रणनीतिक भागीदारी आगे बढ़ाने की दिशा में ठोस पहल करेंगे। चूंकि सऊदी का पश्चिम एशिया से फारस की खाड़ी तक व्यापक प्रभाव है, ऐसे में दोनों देशों की नजदीकी पाकिस्तान के साथ चीन की भी चिंता बढ़ाने वाली है।

गौरतलब है कि शिखर सम्मेलन में शिरकत करने आए विभिन्न देशों के शासनाध्यक्ष रविवार को स्वदेश वापस लौट गए। हालांकि सम्मेलन में शिरकत करने आए क्राउन प्रिंस का राजकीय दौरा इस द्विपक्षीय वार्ता के लिए सोमवार तक जारी रहेगा। बतौर मेजबान भारत ने सऊदी अरब को विशेष मेहमान के रूप में आमंत्रित किया था। ब्यूरो

सामरिक सौदा, कूटनीतिक बढ़त और निवेश पर है भारत की नजर
सऊदी अरब हथियारों और सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर है। हाल ही में उसकी दिलचस्पी चीन के प्रति बढ़ी थी। सऊदी इस मामले में चीन और अमेरिका से अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। भारत की योजना इस स्थिति का लाभ उठाने की है। इसके अलावा भारत की निगाहें निवेश पर भी हैं। हाल के समय में दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास हुए हैं। दोनों देशों के सेना प्रमुखों ने एक दूसरे देश का दौरा किया है। चूंकि सऊदी में भारत के करीब 15 लाख लोग रह रहे हैं, ऐसे में दोनों देशों के बीच विशेष संबंध बना है।

चीन-पाक के लिए चिंता की बात क्यों
दरअसल पाकिस्तान लंबे समय तक इस्लामिक मुल्क के नाम पर सऊदी अरब से करीबी संबंध बनाए हुए है, जबकि चीन ने हाल ही में अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई से उसे जोड़ा था। इसी बीच जी-20 के इतर हुई बातचीत में सऊदी अरब ने इस परियोजना का जवाब देने वाली आईएमईसी परियोजना पर हामी भर दी। दरअसल सऊदी अरब नई वैश्विक परिस्थितियों में अपनी सामरिक और कूटनीतिक ताकत में बढ़ोत्तरी करना चाहता है।

इस्राइल-अरब को करीब लाने की होगी कोशिश
सरकारी सूत्रों का कहना है कि कूटनीतिक लड़ाई मध्य-पूर्व में दबदबे की है। सऊदी अरब और इस्राइल के बीच अदावत बेहद पुरानी है। अगर इन दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हुए तो इस क्षेत्र मेें स्थिति में बड़ा बदलाव आएगा। चूंकि भारत इस समय इस्राइल के साथ सऊदी अरब का भी करीबी है, ऐसे में भविष्य में हमारी योजना दोनों देशों को करीब लाने की है।

रणनीतिक सहयोग परिषद की बैठक भी अहम
द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए पीएम मोदी के दौरे में दोनों देशों ने रणनीतिक सहयोग परिषद का गठन किया था। सोमवार को द्विपक्षीय वार्ता के साथ ही परिषद की भी बैठक होगी। इसमें राजनीतिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक सहयोग, निवेश पर बातचीत होगी और कई अहम निर्णय लिए जाएंगे।

केंद्रीय राज्य मंत्री मुरलीधरन ने भारत-सऊदी निवेश मंच के स्वागत समारोह में भाग लिया
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने रविवार को भारत-सऊदी निवेश मंच के एक स्वागत समारोह में भाग लिया, जो सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत की राजकीय यात्रा के अवसर पर आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री, एचआरएच प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की राजकीय यात्रा के अवसर पर आयोजित भारत-सऊदी निवेश फोरम के रिसेप्शन में भाग लेने की खुशी है। साथ ही उन्होंने कई सऊदी मंत्रियों से भी मुलाकात की और वहां भारत और सऊदी अरब के प्रमुख व्यापारिक व्यक्तियों की भागीदारी की सराहना की।

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