संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि मुझे भरोसा है कि भारत कोशिश करेगा कि मौजूदा भू-राजनीतिक विभाजन दूर किया जाए और विश्व नेताओं की मौजूदगी वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में ठोस नतीजे निकल सकें।
दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में मेजबान भारत जलवायु परिवर्तन और आर्थिक मुद्दों पर सार्थक पहल के लिए एकराय बनाने की कोशिश में है। दूसरी तरफ, पश्चिमी देशों संकेत दे रहे हैं कि बाली सम्मेलन की तरह इस बार भी रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा छाया रहेगा। पश्चिमी देश एकजुट होकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश में हैं। उधर, चीन का रुख यूक्रेन के मसले पर किसी भी तरह की आमराय बनाने की राह में बाधक बन रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, सम्मेलन से पहले कुछ विश्व नेताओं के दिए बयानों से साफ है कि इस बार भी रूस-यूक्रेन मुद्दे को लेकर मतभेदों की छाया सम्मेलन पर पड़ना तय है। जर्मनी होते हुए भारत आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ आ रहे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को आमंत्रित करने की वकालत की। सुलिवन ने कहा, अमेरिका का मानना है कि अगर उन्हें आमंत्रित किया जाता है तो अच्छी बात होगी। सुलिवन के मुताबिक, जेलेंस्की को जब भी किसी निकाय या मंच पर बोलने का मौका मिलता है, वो अपनी बात को स्पष्ट तौर पर रखने में सक्षम होते हैं।
सुनक दखल देने के लिए मोदी पर डालेंगे दबाव
फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक पीएम मोदी से कहेंगे कि वे रूस से हमला बंद करने का आह्वान करें और युद्ध रोकने के प्रयासों में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें। वहीं, पहले ही भारत पहुंच चुकीं अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि वाशिंगटन का मानना है कि आर्थिक विकास को समर्थन के लिए सबसे जरूरी है कि रूस हमले बंद करे।
यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा कि अनुमान लगाना मुश्किल है कि जी-20 नेताओं में सहमति होगी या नहीं। ईयू का मानना है कि रूस संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन कर रहा है और उसे यूक्रेन पर हमले से रोका जाना जरूरी है।
यूएन को उम्मीद
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि मुझे भरोसा है कि भारत कोशिश करेगा कि मौजूदा भू-राजनीतिक विभाजन दूर किया जाए और विश्व नेताओं की मौजूदगी वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में ठोस नतीजे निकल सकें।
यूक्रेन पर मतभेदों की यह है वजह
रूस से करीबी संबंध होने के कारण भारत ने यूक्रेन पर तटस्थ रुख अपना रखा है। जी-20 में भारत के शेरपा अमिताभ कांत कह चुके हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध ये किसी और के लिए प्राथमिकता हो सकती है लेकिन भारत के लिए नहीं। जी-20 में शामिल कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे ताकतवर देश रूस के खिलाफ हैं और यूक्रेन को हथियारों और आर्थिक रूप से मदद भी कर रहे हैं।
समय-समय पर सामने आए मतभेद
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पिछले महीने कहा था कि जी-20 बैठक में यूक्रेन प्रमुख मुद्दा होगा। मार्च में विदेश मंत्रियों की बैठक, फिर जुलाई में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में रूस-यूक्रेन पर सहमति नहीं बन सकी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन मुद्दे को लेकर मतभेदों से खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी प्रगति भी प्रभावित हो सकती है।
यूक्रेन-जलवायु पर रुख सकारात्मक : चीन
बीजिंग। चीन ने शुक्रवार को इस बात से इन्कार किया कि यूक्रेन और जलवायु जैसे मुद्दों पर उसकी आपत्तियां जी-20 में समझौते में बाधक बन रही है। विदेश विभाग प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, चीन चर्चा में सकारात्मक रुख के साथ हिस्सा ले रहा है। विदेश विभाग प्रवक्ता ने कहा कि चीन जी-20 सम्मेलन को बहुत अहमियत देता है। उसने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन दस्तावेज पर परामर्श और चर्चा में सक्रिय और रचनात्मक तरीके से भाग लिया है।