जी-20 देशों के डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की बैठक के महत्वपूर्ण निष्कर्षों की जानकारी देने के लिए प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि डीपीआई की परिभाषा, भविष्य की रूपरेखा और सिद्धांतों को लेकर पहली बार एक वैश्विक सहमति बनी है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मंगलवार को कहा कि समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) एक सशक्त तंत्र है और खासकर ग्लोबल साउथ के लिए यह और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। चंद्रशेखऱ ने बताया कि जी-20 देशों के डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों के बीच भविष्य में डीपीआई को प्रभावी ढंग से लागू करने के तौर-तरीकों पर अभूतपूर्व सहमति बनी है।
जी-20 देशों के डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की बैठक के महत्वपूर्ण निष्कर्षों की जानकारी देने के लिए प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि डीपीआई की परिभाषा, भविष्य की रूपरेखा और सिद्धांतों को लेकर पहली बार एक वैश्विक सहमति बनी है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसने जी-20 में काफी गति पकड़ी है। भारत इस मामले में अब एक केस स्टडी बन चुका है, जिसने प्रगति और विकास के लिए तकनीकी उपकरणों को अपनाने और उन्हें मजबूती से इस्तेमाल करने की नई राह दिखाई है। उन्होंने कहा, डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जी-20 बैठकों के दौरान हमने समझा कि कैसे डीपीआई समावेशिता का एक सशक्त तंत्र बन सकता है। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में पीछे रह गए देश भी अब भारत की राह पर चलने और उसकी तरह ही प्रभाव हासिल करने के बारे में सोच रहे हैं। राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि जी-20 राष्ट्रों के बीच बनी सहमति मुख्य तौर पर तीन क्षेत्रों डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सुरक्षा और डिजिटल कौशल पर केंद्रित रही है।
साइबर सुरक्षा पर भी फोकस
केंद्रीय मंत्रीय ने बताया कि जी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों के बीच साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर भी व्यापक चर्चा की गई। इस पर खास ध्यान केंद्रित रहा कि व्यवसायों के लिए सुरक्षा क्यों महत्वपूर्ण है। साइबर सुरक्षा दुनिया के सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से वैश्विक अर्थव्यवस्था और आर्थिक प्रगति का एक बड़ा घटक बनती जा रही है।
उन्होंने बताया कि चर्चाओं के दौरान इस पर भी आम राय सामने आई कि कोविड-बाद डिजिटल गतिविधियां तेज होने से युवाओं के बीच डिजिटल कौशल बढ़ाना आवश्यक हो गया। भारतीय प्रतिभाएं हमारे युवाओं में डिजिटल कौशल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित र रही हैं। कई देश इस में एक-दूसरे के साथ साझेदारी करने में रुचि रखते हैं।
भारत ने बढ़ाया जी 20 का कद : आरसी भार्गव
भारत ने जी 20 का कद बढ़ाया है, जिससे दुनिया में लोगों को प्रभावित करने की उसकी क्षमता को एक निश्चित पहचान मिली है। यह कहना है मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव का। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने जिस तरह से इस मंच का लाभ उठाया है, वैसा काम किसी भी अन्य देश ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से कई समस्याओं का सामना कर रही है। इसमें यूक्रेन-रूस युद्ध, मुद्रास्फीति, जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन हर देश के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। ऐसे समय में भारत ने यह पहचानते हुए कि इन समस्याओं से कैसे निपट सकते हैं, दुनिया भर के देशों को इस दिशा में आगे बढ़ाने के प्रयास में अग्रणी भूमिका निभाई है। भार्गव ने कहा कि इन सभी मुद्दों पर भारत ने दुनिया के देशों को ऐसी समस्याओं से निपटने के तरीके पहचानने की दिशा दी है।
आरबीआई पहलों का भी बनेगा गवाह
जी-20 शिखर सम्मेलन में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी पांच डिजिटल भुगतान पहलों को अन्य देशों के सामने लेकर जाएगा। इसके लिए यूपीआई एक दुनिया, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, फ्रिक्शनलेस क्रेडिट के लिए पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म, रुपे ऑन-द-गो और भारत बिल पेमेंट सिस्टम। इसके अलावा देश के हस्तशिल्प को प्रदर्शित करने के लिए शिल्प बाजार भी सजाया जा रहा है। इसके तहत 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में भारत मंडपम में आयोजित होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन में भारतीय रिजर्व बैंक का एक प्रदर्शनी मंडप भी होगा। इसमें विदेश से आने वालों को आरबीआई अपने डिजिटल रुपये और उसकी यात्रा पर एक सूचनात्मक वीडियो प्रदर्शित करेगा। प्रदर्शनी में भाग लेने वाले आईसीआईसीआई समेत कुछ चुनिंदा बैंकों द्वारा डिजिटल रुपया लेनदेन का सजीव प्रदर्शन किया जाएगा।और भारत बिल भुगतान प्रणाली सहित अन्य पहलों से लोगों को परिचित कराया जाएगा। भारत के इस कदम को जी20 अध्यक्ष पद के हिस्से के तहत विकास और वित्तीय समावेशन के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का एजेंडा अपनाया है। भारत ने डीपीआई में काफी प्रगति की है। तदनुसार, आरबीआई इन पांच नवाचारों को सबसे के साथ साझा कर रहा है।