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मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देने का रास्ता तलाश रही है राज्य सरकार, ये है पूरा मामला

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महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा प्रदर्शनकारियो पर लाठीचार्ज से उपजे आक्रोश को ठंडा करने में जुटी राज्य सरकार मराठा समुदाय को कुनबी मराठा का प्रमाणपत्र जारी करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा प्रदर्शनकारियो पर लाठीचार्ज से उपजे आक्रोश को ठंडा करने में जुटी राज्य सरकार मराठा समुदाय को कुनबी मराठा का प्रमाणपत्र जारी करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए गठित की गई उच्चस्तरीय समिति के माध्यम से नया रास्ता तलाशा जा रहा है। समिति 1950 के दशक के अभिलेखों को खंगालेगी और यह पता लगाएगी की क्या निजाम शासनकाल के दौरान मराठवाड़ा के कुनबी मराठा पिछड़ी जाति थी।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक में अपर मुख्य सचिव (राजस्व) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई जो निजाम शासनकाल के समय के जमीदारो के फरमान, मराठा समाज के कागजात और वंशावली का अध्ययन करेगी। हालांकि इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी पिछड़ा आयोग के माध्यम से मराठा समुदाय को पिछड़ा बताकर आरक्षण देने की कोशिश की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मराठा समुदाय पिछड़ा नही है।

दरअसल आजादी के समय जो मराठा महाराष्ट्र ने थे उनमें से ज्यादातर लोगों को कुनबी मराठा का आरक्षण है। खासतौर से कोकण में, लेकिन उस समय मराठवाड़ा के 8 जिले हैदराबाद के अधीन थे। 17 सितंबर 1948 को मराठवाड़ा निजाम शासन से मुक्त हुआ था। उसके वाद मराठवाड़ा को महारष्ट्र में शामिल किया गया था। इसलिए मराठवाड़ा के मराठों को कुनबी मराठा का दर्जा नहीं मिला।

-जालना जिले के सरोटी गाव में धरने पर बैठे मनोज जरांडे पाटिल का कहना है कि जब मराठवाड़ा हैदराबाद के निजाम शासन के अधीन था तब कुनबी मराठों को पिछड़ी जाति में गिना जाता था। इसलिए उन्हें कुनबी जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए और इसके लिए शासनादेश जारी हो।

मराठा आंदोलन से 10 करोड़ का नुकसान
महाराष्ट्र के जालना में लाठीचार्ज की घटना के बाद बीते तीन दिनों में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एसटी) की 19 बसों में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई है। इसके अलावा कई प्राइवेट वाहन भी छतिग्रस्त कर दिए गए और गोदाम को भी आग के हवाले किया गया। इससे करीब 10 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। सोमवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि मराठा आंदोलन से करीब 10 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह नुकसान राज्य का हुआ है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि मंत्रालय से फोन जाने के बाद लाठीचार्ज हुआ। अजित पवार ने विपक्ष को चुनौती दी कि यदि वे साबित कर दे कि हम तीनों ( मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और अजित पवार) में से अगर कोई भी लाठीचार्ज का आदेश दिया हो तो राजनीति से सन्यास ले लेंगे और उन्हें भी ऐसा करना होगा। उन्होंने ने मराठा समाज से अपील की कि शांति बनाए रखे। सरकार मराठा आरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।

वहीं, राज्य परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि एसटी निगम को 4 करोड़ से अधिक रुपये का नुकसान हुआ है। दूसरी ओर 19 से अधिक कार और अनाज के गोदाम जलाने की घटना हुई है। पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में जालना, औरंगाबाद आदि कई जिलों में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए कई बस डिपो में बस सेवा बंद कर दी गई। उसका भी नुकसान एसटी निगम को उठाना पड़ा है।

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