शशि थरूर शुक्रवार को अपने लोकसभा क्षेत्र तिरुवनंतपुरम के दौरे पर थे। यहां उन्होंने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने एक राष्ट्र-एक चुनाव की आलोचना की। यह मौजूदा प्रणाली के खिलाफ होगी।
देश में इन दिनों एक राष्ट्र-एक चुनाव की चर्चा जोरों से हैं, जिसे लेकर सबकी अपनी-अपनी राय पेश कर रहे हैं। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक राष्ट्र-एक चुनाव पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई व्यावहारिक तरीका नहीं है, जिससे यह प्रणाली लागू की जा सके।
एक राष्ट्र-एक चुनाव मौजूदा प्रणाली के खिलाफ होगी
शशि थरूर शुक्रवार को अपने लोकसभा क्षेत्र तिरुवनंतपुरम के दौरे पर थे। यहां उन्होंने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने एक राष्ट्र-एक चुनाव की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह मौजूदा प्रणाली के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई व्यावहारिक तरीका नहीं है, जिससे आप इस प्रणाली को लागू कर सकें। देश में मुख्य कार्यकारी का चयन संसदीय बहुमत और विधायी बहुमत के आधार पर किया जाता है और मान लीजिए अगर किसी भी वजह से बहुमत खत्म हो जाता है तो सरकार गिर जाती है।
1970 में गिरी गठबंधन सरकार
थरूर ने बताया कि सन् 1947 से 1967 के बीच भारत में एक राष्ट्र-एक चुनाव का पालन किया जाता था। यानी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन 1970 में गठबंधन सरकार के गिर गई, जिस वजह से कैलेंडर फिसल गया औऱ व्यवस्था धव्सत हो गई। इसके बाद 1971 में दोबारा चुनाव कराए गए थे। चुनाव कैलेंडर में भी कई बदलाव हुए, जिस वजह से अब अलग-अलग राज्यों का अलग-अलग चुनावी कैलेंडर है।
बता दें, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को केंद्र ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक समिति का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी है। समिति देश में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कैसे कराए जाएं, इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। समिति पर थरूर ने कहा कि विपक्ष रामनाथ कोविंद की बात को ध्यान से सुनेगा। देखना होगा कि क्या समिति कोई व्यावहारिक समाधान ढूंढ सकती है। वहीं, थरूर ने कहा कि केंद्र सरकार शायद सोच रही होगी, उन्हें नए संसद भवन में काम करने का मौका नहीं मिलेगा, इसलिए उन्होंने सत्र बुला लिया।