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पाकिस्तान-चीन सीमा पर वायुसेना करेगी युद्ध अभ्यास, राफेल-जगुआर लड़ाकू विमानों का होगा इस्तेमाल

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रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, वायुसेना की पश्चिमी कमान अभ्यास को आयोजित करेगी, जिसे त्रिशूल नाम दिया गया है। वायुसेना द्वारा हाल में किए गए सभी अभ्यासों की तुलना में ऑपरेशन त्रिशूल काफी बड़ा होगा।

भारतीय वायुसेना चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर मेगा अभ्यास का आयोजन करेगी। रक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो चार सितंबर से वायुसेना का अभ्यास शुरू होगा, जो 11 दिनों तक चलेगा। बता दें, वर्तमान में भारत-चीन सीमा पर खींचतान भी जारी है।  रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, वायुसेना की पश्चिमी कमान अभ्यास को आयोजित करेगी, जिसे त्रिशूल नाम दिया गया है। वायुसेना द्वारा हाल में किए गए सभी अभ्यासों की तुलना में ऑपरेशन त्रिशूल काफी बड़ा होगा। अभ्यास में पश्चिमी कमान के सभी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, अन्य कमानों की संपत्तियां भी तैनात की जाएंगी। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं का परीक्षण करना और परिचालन आयामों का आंकलन करना है।वायुसेना के सूत्रों के अनुसार, त्रिशूल में कई सारे प्रमुख लड़ाकू विमानों को शामिल किया गया है। इसमें राफेल, एसयू-30 एमकेआई, जगुआर, मिराज-2000, मिग-29, मिग-21 बाइसन, लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मध्य हवा में ईंधन भरने वाले AWACS विमान और परिवहन बेड़े को भी तैनात किया जाएगा। यह अभ्यास लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में फ्रंटलाइन बेस को कवर करेगा। अभ्यास के अंत में वायुसेना मुख्यालय इसके परिणाम की गहन जांच की जाएगी।

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