बीते दिनों जनजातीय एकता समिति (सीओटीयू) और स्वदेशी जनजातीय नेता मंच (आईटीएलएफ) ने मणिपुर विधानसभा का सत्र बुलाने की निंदा की है। उनका कहना है कि मौजूदा स्थिति कुकी विधायकों के भाग लेने के अनुकूल नहीं है।
मणिपुर में जातीय हिंसा के बाद आज पहली बार राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। एक दिवसीय सत्र के दौरान सदन में हंगामा देखने को मिल सकता है। हालांकि, कुकी समुदाय के विधायकों ने विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने की बात कही है। बीते दिनों जनजातीय एकता समिति (सीओटीयू) और स्वदेशी जनजातीय नेता मंच (आईटीएलएफ) ने मणिपुर विधानसभा का सत्र बुलाने की निंदा की है। उनका कहना है कि मौजूदा स्थिति कुकी विधायकों के भाग लेने के अनुकूल नहीं है।
विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होंगी महिला मंत्री किपगेन
वहीं, मणिपुर की इकलौती महिला कुकी मंत्री नेमचा किपगेन ने विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष सत्यब्रत को लिखे एक पत्र में किपगेन ने बताया कि उन्हें सुरक्षा के आधार पर इंफाल की यात्रा न करने की सलाह दी गई है। किपगेन ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों के लिए सुरक्षा के आधार पर इंफाल में रहना संभव नहीं है।
राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि उन सभी दस कुकी विधायकों को सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है, जिन्होंने पहाड़ी जिलों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की है। बता दें, मणिपुर में तीन मई को शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों घरों को नष्ट कर दिया गया है। राज्य में अभी भी हिंसा की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।