चीनी विदेश मंंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को कहा कि पीएम मोदी के साथ मुलाकात के दौरान शी जिनपिंग ने जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के हितों को पूरा करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के टकराव वाली जगहों से अपने सैनिकों को शीघ्र पीछे हटाने के निर्देश देने पर सहमत हुए हैं। दोनों के बीच जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर संक्षिप्त मुलाकात हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जिनपिंग से साफ कहा कि चीन को एलएसी का सम्मान करना होगा। वहीं, पीएम मोदी सम्मेलन समाप्त होने के बाद बृहस्पतिवार देर रात ग्रीस के लिए रवाना हो गए। वह ग्रीस के पीएम किरियाकोस मित्सोताकिस के साथ रिश्ते बेहतर करने पर चर्चा करेंगे।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने मोदी-जिनपिंग मुलाकात की जानकारी देते हुए कहा, दोनों नेताओं के बीच सीमा पर तनाव कम करने पर सहमति बनी है। पीएम मोदी ने जिनपिंग के सामने एलएसी के पश्चिमी सेक्टर में विवाद वाले मुद्दों पर भारत की चिंता को रेखांकित किया। यह भी साफ कर दिया कि संबंध सामान्य बनाने के लिए एलएसी का सम्मान व शांति जरूरी है। मई, 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया था। भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच यहां कुछ बिंदुओं पर पिछले तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है, जबकि व्यापक राजनयिक व सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्ष कई क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटा चुके हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी
चीनी विदेश मंंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को कहा कि पीएम मोदी के साथ मुलाकात के दौरान शी जिनपिंग ने जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के हितों को पूरा करता है। वांग का कहना है कि दोनों नेताओं ने वर्तमान चीन-भारत संबंधों सहित साझा हितों पर आदान-प्रदान किया। जिनपिंग ने मुलाकात के दौरान जोर दिया की दोनों देशों के संबंध वैश्विक और क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए अनुकूल है।
मेजर जनरल स्तर की छह दिन लंबी वार्ता खत्म
प्रधानमंत्री मोदी व राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच जोहानिसबर्ग में वार्ता के बीच भारत-चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की वार्ता भी समाप्त हो गई है। दौलत बेग ओल्डी और चुशुल सेक्टर में 19 अगस्त से जारी यह वार्ता छह दिन तक चली और इसमें देपसांग और डेमचोक इलाकों को लेकर लंबे समय से जारी विवाद को सुलझाने पर चर्चा हुई।