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तालिबान के शासन में प्रेस की स्वतंत्रता का दमन, पिछले 10 दिनों में नौ पत्रकार गिरफ्तार

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अफगानिस्तान की समाचार एजेंसी खामा प्रेस ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में मीडिया अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। पिछले दो वर्षों में 6,000 से अधिक पत्रकारों की नौकरी चली गई है।

पिछले दो वर्षों से तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति काफी चिंताजनक है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 दिनों में तालिबान अधिकारियों ने नौ पत्रकारों को गिरफ्तारा किया है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की एक रिपोर्ट में अफगानिस्तान में पत्रकारों की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की गई है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी अफगानिस्तान में पत्रकारों के दमन पर चिंता जताई है।अफगानिस्तान की समाचार एजेंसी खामा प्रेस ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में मीडिया अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। पिछले दो वर्षों में कई रेडियो और टीवी स्टेशन के साथ समाचार एजेंसियां बंद हो गई हैं। अनुमान के अनुसार 6,000 से अधिक पत्रकारों की नौकरी चली गई है।आरएसएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने 12 पत्रकारों को बिना किसी स्पष्ट कारण बताए हिरासत में रखा है। आरएसएफ ने गिरफ्तार किए गए नौ पत्रकारों की सूची जारी की है, जिसमें फकीर मोहम्मद फकीरजई, जान आगा सालेह, हसीब हसस, हबीब सरब, सैयद वहदतुल्ला अब्दाली, शमसुल्लाह ओमारी, वहीद रहमान अफगानमल, अताउल्लाह उमर और परविज सरगंद शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान के पांच प्रांतों में छापेमारी के दौरान पत्रकारों को बिना कोई कारण बताए गिरफ्तार किया गया, और एक को छोड़कर सभी अभी भी हिरासत में हैं। इन पत्रकारों को अज्ञात जगह पर रखा गया है।

आरएसएफ ने पत्रकारों को तत्काल रिहा करने को कहा…
आरएसएफ ने अफगानिस्तान में पत्रकारों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए स्थिति को भयावह बताया है और तालिबान अधिकारियों से हिरासत में लिए गए पत्रकारों को रिहा करने का अनुरोध किया है। आरएसएफ ने रिपोर्ट में कहा है, अफगानिस्तान में डर और अनिश्चितता का माहौल है। तालिबान के देश की सत्ता पर काबिज होने के दो साल बाद इन गिरफ्तारियों ने उन आश्वासनों को फिर से झूठा साबित कर दिया है कि तालिबान प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करेगा। सूचना के अधिकार के उल्लंघन का रिकॉर्ड भयावह है और इसके लिए तालिबान शासन पूरी तरह से जिम्मेदार है। आरएसएफ तालिबान अधिकारियों से हिरासत में लिए गए पत्रकारों को तुरंत रिहा करने का आदेश देने और प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करने का आग्रह करता है।

तालिबान ने बैन किए सभी 70 राजनीतिक दल
अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान ने एक और अलोकतांत्रिक फैसला लेते हुए 70  राजनीतिक दलों पर बैन लगा दिया। तालिबान के न्याय मंत्री अब्दुल हकीम शरेई ने कहा, मुस्लिमों का जीवन शरिया कानून पर आधारित होता है, ऐसे में सच्चे मुस्लिम समाज में राजनीतिक दलों के लिए कोई गुंजाइश नहीं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद पंजीकृत सभी 70 राजनीतिक दलों को उनके मंत्रालय ने यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया कि इन दलों से देश में विभाजन की भावना पैदा होती है। शरेई ने खाड़ी देशों का उदाहरण देते  हुए कहा  वहां भी तो कोई राजनीतिक दल नही हैं।

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