चीन ने हाल ही में स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक ऐसा निर्णय लिया है, जिसकी पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। देश के साइबर स्पेस रेगुलेटर ने बच्चों में स्मार्टफोन्स के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के प्रस्ताव का एलान किया है। इसके तहत स्मार्टफोन्स को माइनर मोड पर डाला जा सकेगा, जिसमें 18 साल से कम उम्र के लोग दो घंटे से अधिक समय तक स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। लोगों की इसपर प्रतिक्रिया को जानने के लिए फिलहाल इस नियमन को दो सितंबर तक लागू रखा जाएगा।बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्मार्टफोन्स के उपयोग को कम करने को लाभकारी माना जा रहा है। अध्ययनों से पता चलता है कि स्मार्टफोन पर अधिक समय बिताना बच्चों में अवसाद और चिंता की समस्या को बढ़ाने वाला हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य के अलावा कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं के जोखिमों को भी स्मार्टफोन्स के अधिक इस्तेमाल से जोड़कर देखा जाता रहा है।
स्मार्टफोन्स के इस्तेमाल के दुष्प्रभाव
ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी के अनुसार, मोबाइल फोन्स और सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले बच्चों-किशोरों में आत्मसम्मान की कमी, चिंता, अवसाद और खराब गुणवत्ता वाली नींद की समस्या अधिक देखी जाती रही है। बच्चो में स्मार्टफोन्स के इस्तेमाल को कम करके भविष्य में उन्हें इन समस्याओं से सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, माता-पिता के रूप में, हमें अपने बच्चों को मोबाइल फोन्स-सोशल मीडिया के खतरों के बारे में बताना होगा और उन्हें इससे बचाव को लेकर सतर्क भी करना होग
कोविड महामारी ने बढ़ा दिया है मोबाइल का उपयोग
अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि वैसे तो पहले से ही बच्चों के साथ लगभग सभी आयुवर्ग के लोगों में स्मार्टफोन की बढ़ी हुई लत देखी जा रही है पर कोरोना महामारी के दौरान यह जोखिम काफी बढ़ गया है। कनाडा मेकगिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि दुनियाभर के कई देशों में स्मार्टफोन का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा है। चीन, मलेशिया और सऊदी अरब इनमें सबसे आगे हैं। बच्चों के अलावा वयस्कों में भी स्मार्टफोन का उपयोग अधिक देखा जा रहा है।
हो सकते हैं कई दीर्घकालिक नकारात्मक असर
तीन साल से अधिक समय तक जारी कोरोना महामारी के दौरान बढ़े स्क्रीन का उपयोग, खासकर बच्चों के बीच, को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलर्ट कहते हैं। जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, महामारी की शुरुआत के बाद से बच्चों द्वारा स्क्रीन पर बिताए जाने वाले औसत समय में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।स्मार्टफ़ोन का मस्तिष्क पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता है कि इसका अत्यधिक उपयोग बच्चों के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करने वाला भी हो सकता है।
नींद की गुणवत्ता हो जाती है प्रभावित
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप सभी चमकदार नीली रोशनी उत्सर्जित करते हैं। समस्या यह है कि नीली रोशनी आपके मस्तिष्क में मेलाटोनिन के उत्पादन को बाधित कर सकती है, जिसका सीधा असर आपकी नींद की गुणवत्ता पर देखा जाता है। जो लोग अधिक स्मार्टफोन्स या स्क्रीन का इस्तेमाल करत हैं उनका सर्कैडियन रिदम प्रभावित हो सकता है, जो कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग सहित कई गंभीर समस्याओं को बढ़ाने वाली हो सकती है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी उम्र के लोगों को स्मार्टफोन्स का उपयोग कम करने की सलाह देते हैं।