एनपीपीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसमें मधुमेह, दर्द, बुखार, इंफेक्शन, हार्ट की दवा समेत मल्टी विटामिन और डी-3 की अधिकतम कीमत तय कर दी गई है। एनपीपीए ने आदेश में कहा है कि तय कीमत के अलावा कोई भी दवा कंपनी सिर्फ जीएसटी ही ले सकेगी।
तनाव, मिर्गी, मधुमेह और हल्के माइग्रेन के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं सस्ती होंगी। केंद्र सरकार इन दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाई है, जिसके चलते बाजार में मौजूद इन दवाओं की कीमत में काफी गिरावट आ सकती है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के तहत 44 फॉर्मूलेशन की खुदरा कीमतें तय की हैं। बीती 31 जुलाई को हुई प्राधिकरण की 115वीं बैठक में फैसला लेने के बाद यह आदेश जारी किया है।एनपीपीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसमें मधुमेह, दर्द, बुखार, इंफेक्शन, हार्ट की दवा समेत मल्टी विटामिन और डी-3 की अधिकतम कीमत तय कर दी गई है। एनपीपीए ने आदेश में कहा है कि तय कीमत के अलावा कोई भी दवा कंपनी सिर्फ जीएसटी ही ले सकेगी। साथ ही फार्मा कंपनियों से नई कीमतों की जानकारी 15 दिन के भीतर दवा विक्रेताओं तक भेजने को कहा है। आदेश का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इनके दाम किए तय
एनपीपीए के आदेश के अनुसार, सिरदर्द, हल्के माइग्रेन, मस्कुलोस्केलेटल दर्द या दर्दनाक मासिक धर्म के उपचार में इस्तेमाल एसेक्लोफेनाक, पेरासिटामोल, सेराटियोपेप्टिडेज की प्रति एक गोली अधिकतम कीमत 8.38 रुपये तय हुई है, जिसमें जीएसटी शुल्क अलग है। टाइप 2 मधुमेह के व्यस्क रोगियों को दी जाने वाली दवा सीताग्लिप्टिन फॉस्फेट और मेटफार्मिन हाइड्रोक्लोराइड की प्रति एक गोली अधिकतम नौ रुपये में उपलब्ध होगी। मिर्गी के लिए इस्तेमाल लेवेतिरसेटम, सोडियम क्लोराइड आसव और तनाव में दिए जाने वाले पैरोक्सेटाइन नियंत्रित रिलीज और क्लोनाजेपम कैप्सूल की अधिकतम कीमत क्रमश: 0.89 और 14.53 रुपये रहेगी। मौजूदा समय में इन दवाओं की कीमत कहीं अधिक है।